अबू सालेम के सारे मुकदमे हो गए अवैध
विवेक अग्रवाल
मुंबई, 20 अक्तूबर 2016
माफिया सरगना अबू सालेम को लेकर आज भी सरकार की रस्साकशी जारी है। इसी का नतीजा है कि पिछले दिनों मध्यप्रदेश सरकार को सीबीआई ने एक पत्र भेज कर हत्या के एक ऐसे मामले में अबू सालेम के खिलाफ मुकदमा न चलाने के लिए लिखा है, जो प्रत्यर्पण के दौरान उस सूची में नहीं था, जिसके आधार पर प्रत्यर्पण हुआ है। भारत सरकार समेत कई राज्य सरकारें भी अबू सालेम के खिलाफ जिन 8 मामलों में उसका प्रत्यर्पण हुआ था, उसके अलावा भी कुछ मामलों में आरोपी बना कर मुकदमे चला रहे हैं। आव्रजन नियमों और करार के कारण अबू पर चल रहे तमाम मुकदमे और उनमें दी जा रही सजाएं अवैध हो गई हैं।
माफिया सरगना अबू सालेम ने अदालत में एक अर्जी पेश की थी। अबू सालेम का दावा था कि आव्रजन संबंधी जो करार पुर्तगाल से हुआ है, उसके तहत मामले नहीं चलाए जा रहे हैं। उसके खिलाफ मध्यप्रदेश में कुछ और भी मामलों में मुकदमे चलाए जा रहे हैं। हत्या के एक मामले में अबू सालेम को मध्यप्रदेश पुलिस ने वांछित घोषित कर रखा था।
अबू सालेम ने जिस मामले में आपत्ती जताई है, वह पुलिस के मुताबिक गिरोहबाज अकबर नफीस की हत्या से जुड़ा है। पुलिस के मुताबिक अकबर को मुंबई से भेज कर सिराज की हत्या करवानी चाही थी। सिराज वह व्यक्ति था, जिसने अबू सालेम और मोनिका बेदी के नकली पासपोर्ट भोपाल में तैयार करवाए थे। पुलिस अधिकारियों ने दावा किया कि अकबर और सिराज आपस में दोस्त बन गए थे। पुलिस का आरोप है कि अबू सालेम ने अकबर को कुछ सुपारी हत्यारे भेज कर अकबर की हत्या करवा दी थी। उस मामले में अबू सालेम को हत्या के मामले में धारा 120 (बी) के तहत आरोपी माना था।
इस अर्जी पर सीबीआई एसटीएफ के पुलिस उपाधीक्षक शिवकुमार जयंत ने एक शपथ पत्र मुंबई की विशेष टाडा अदालत में पेश किया। इसमें उन्होंने बताया कि इस सिलसिले में उन्होंने केंद्रीय गृह मंत्रालय से सच्चाई जानने के लिए 14 सितंबर 2016 को एक पत्र भेजा था। वहां से उन्हें एक पत्र प्राप्त हुआ है, जो कि अदालत में पेश किया है।
बता दें कि 2005 में अबू सालेम और अभिनेत्री मोनिका बेदी को पुर्तगाल से अधिकारिक रूप से प्रत्यर्पित किया था। इस पत्र के मुताबिक प्रत्यर्पण कानून की धारा 21 के तहत किसी भी व्यक्ति पर सिर्फ उन्हीं मामलों में भारत में मुकदमा चलाया जा सकता है, जिनके तहत उसका प्रत्यर्पण हुआ हो। यह पत्र गृह मंत्रालय के उप कानूनी सलाहकार अनूप यादव ने 8 सितंबर 2016 को जारी किया है।
केंद्रीय विदेश मंत्रालय के वरिष्ठ सलाहकार डॉक्टर प्रदीप चौधरी ने 6 अप्रैल 2014 को सीबीआई के विशेष वकील दीपक सालवी को पत्र भेजा, जिसमें मध्य प्रदेश सरकार द्वारा विदेश मंत्रालय को मुकदमा क्रमांक 40/2007 के तहत मामला चलाने के लिए कोई आवेदन नहीं भेजने के संबंध में लिखा है। यह भी बताया है कि मामला क्रमांक 40/2007 उस सूची में शामिल नहीं है, जिसके तहत पुर्तगाल से अबू सालेम को प्रत्यर्पित किया था।
यह सभी जानते हैं कि अबू सालेम का प्रत्यर्पण पहले ही पुर्तगाल की अदालतों द्वारा खारिज किया जा चुका है। इस सिलसिले में भारत सरकार समय खींच रही है। अबू सालेम ने दावा किया है कि मुंबई के 93 बमकांड में भी उस पर कुछ ऐसी धाराओं में मुकदमा चलाया और सजा सुनाई है, जो कि प्रत्यर्पण की सूची में नहीं थे।
इन सबके कारण अब अबू सालेम को लेकर सीबीआई के साथ अन्य राज्यों की पुलिस के लिए भी समस्याएं बढ़ चली हैं। जब सीबीआई ने अबू सालेम का प्रत्यर्पण किया था, तब राज्य सरकारों से उनके पास दर्ज मामलों की सूची और दस्तावेज नहीं मांगे थे। इसके चलते अब समस्या खड़ी हो रही है।
बता दें कि अबू सालेम का प्रत्यर्पण रद्द न करने की अर्जी पुर्तगाल सुप्रीम कोर्ट ने भी 5 अक्तूबर 2012 को खारिज कर दी थी। इस तरह से अबू सालेम का भारत के लिए प्रत्यर्पण रद्द हो चुका है। उसके बाद में चलाए जा रहे तमाम मुकदमे और उनमें दी सजाएं भी कोई मायने नहीं रखती हैं।
अबू सालेम के वकील राजा ठाकुर से जब इस बारे में इंडिया क्राईम ने संपर्क किया तो उन्होंने कहा कि केंद्र और राज्य सरकारें उनके मुवक्किल के खिलाफ ज्यादती कर रही हैं। भारत सरकार उस प्रत्यर्पण संधि का उल्लंघन कर रही है, जो कि पुर्तगाल के साथ की है। अबू सालेम के खिलाफ उन धाराओं तथा मामलों में मुकदमे चलाना अवैध है, जो आव्रजन के दौरान सुनवाई में दर्ज नहीं थे।