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कर्मचारियों को मौत के मुंह में धकेल रही मप्र सरकार – गनतंत्र की बात

विवेक अग्रवाल

मुंबई, 01 मई 2020

कोरोना हमले के बीच अब तक सब कुछ सहज भाव से चल रहा है लेकिन पिछले दिनों सोशल मीडिया पर शेयर हुई एक तस्वीर ने सरकार तंत्र की गंभीरता की पोल खोल कर रख दी। कोरोना के खिलाफ लड़ाई में मध्यप्रदेश सरकार की अक्षम्य नाकारापन और लापरवाही साफ दिखी।

पीपीई सूट पहन कर शवदाह करने वाले व्यक्ति की यह तस्वीर देख कर साफ पता चलता है कि सरकार कोरोना के प्रति कितनी लापरवाह बनी हुई है।

एक तस्वीर पिछले दिनों सोशल मीडिया पर खूब साझा हुई, जिसमें अंतिम संस्कार करने के बाद जलती चिता के सामने किसी ने सेल्फी ली है, जिसमें एक व्यक्ति पीपीई सूट पहने दिख रहा है।

उसके दोनों हाथों के दस्तानों और आस्तीनों के बीच जिस्म का खुला हिस्सा दिख रहा है।

टोपी और गर्दन के बीच का हिस्सा खुला है।

इतना ही नहीं जूते और पांवों के बीच का हिस्सा भी खुला हुआ है।

यह पीपीई सूट किसी भी हाल में कोरोना वाईरस के खिलाफ जारी जंग के मानकों के अनुरूप नहीं कहा जा सकता है। चार साल के बच्चे का अंतिम संस्कार करने वाली टीम के पीपीई सूट और सुरक्षा साधनों के मुकाबले तहसीलदार गुलाब सिंह बघेल का पीपीई सूट भयानक आसन्न खतरे की ओर इशारा कर रहा है।

घटिया पीपीपी सूट पहने यह व्यक्ति जलती चिता के सामने खड़ा है, उसे देख कर मन में डर बैठना स्वाभाविक है। यह तस्वीर किसी ऐरे-गैरे नत्थू खैरे की नहीं है। यह घटिया पीपीई सूट पहनने वाला व्यक्ति मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल के बैरागढ़ इलाके के तहसीलदार गुलाब सिंह बघेल की है। शाजापुर के एक कोरोना पीड़ित मरीज की मौत होने के बाद उसका दाह संस्कार करने आए हैं क्योंकि मरने वाले के बेटे और पत्नी ने शव लेने और अंतिम क्रिया करने से इंकार कर दिया।

तहसीलदार गुलाब सिंह के जिस्म पर दिख रहा पीपीई सूट दिखावे और छलावे के अलावा कुछ नहीं है।

ऐसे पीपीई सूट किस संस्था या सरकार के किस विभाग ने कर्मचारियों को मुहैया करवाए हैं, इसकी जांच होनी चाहिए। दोषी कर्मचारियों और अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।

तहसीलदार गुलाब सिंह ने अंतिम संस्कार की ऐसी महानतम मानवता की मिसाल कायम की है, जिसकी तारीफ करना उन्हें छोटा करना होगा। अब जरूरत इस बात की है कि उन सबका कोरोना टेस्ट होना चाहिए, जिन्होंने इस तरह के घटिया पीपीई सूट पहन कर अंतिम संस्कार में हिस्सा लिया था। उनमें से एक भी कोरोना पॉजिटिव निकले, तो उनकी पूरी जिम्मेदारी प्रशासन को लेनी चाहिए।

कोरोना वायरस से लड़ाई में इतनी बड़ी चूक और गंभीर गलती की कोई गुंजाइश नहीं है।

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