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खेल खल्लास: मदन चौधरी उर्फ मेंटल : एमआर के वेश में शूटर

एक ‘देसी’ गिरोहबाज जो ‘विदेशी’ गिरोह सरगनाओं को चुनौती देता रहा कि हिम्मत है तो भारत आकर मुकाबला करें। उसके वाग्बाणों के निशाने पर राजन व शकील दोनों रहे।

 

मदन चौधरी किसी से भिड़ने के पहले सोचता न था। वह “पहले करने – बाद में सोचने” वाली फितरत का गुंडा रहा है।

मदन चौधरी का आपराधिक गुरु गवली था। मदन ने गवली से नाता तोड़ सुभाष सिंह ठाकुर का हाथ थामा। गवली से दूर होने का कारण क्या था, जानने के लिए लोग आज भी कोशिश ही कर रहे हैं।

 

मदन जब ‘काम बजाने’ जाता, शानदार पैंट-शर्ट, टाई, सूट-बूट पहनता। चमड़े का नफीस बैग लेता। अपनी सुंदरता व लंबे कद का फायदा उठाते हुए दवा कंपनी का एमआर रुप धरता। उसके बैग में जीवनदायी दवाएं नहीं, मौत बांटने वाले ‘कैप्सूल’ याने ‘गोलियां’ होती थीं।

 

जिद, कठोरता, धुन के पक्के मदन को एसटी गिरोह में ‘मेंटल’ कहते थे। मुंबईया बोलचाल में मेंटल का मतलब सनकी होता है।

 

मदन को इं. प्रफुल्ल के विशेष दस्ते ने मुठभेड़ में मार गिराया। मदन की मौत ने एक बार फिर साबित कर दिया कि जो आग से खेलेगा, वो आग ही उसे लील जाती है – याने उसका भी होगा एक न एक दिन खेल खल्लास

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