खेल खल्लास: मो. रफीक उर्फ रफीक डिब्बावाला : एसटी का छोटा भाई एचटी
मो. रफीक से रफीक डिब्बावाला तक का सफर, 20 वर्ष की उम्र से शुरू होकर 37 साल में खत्म हो गया।
जेबकतरे भाई और बारबाला बहन की तरह विदेशी वस्तुओं के पीछे रफीक भी दीवाना था। तीनों जल्द अमीर होने के नुस्खे तलाशते थे। एक ने जेबतराशी के लिए ब्लेड थामी, दूसरे ने हफ्ताखोरी के लिए पिस्तौल, तीसरे ने कमाई हेतु प्याले-सुराही। मकसद एक ही था – पैसा।
एसटी गिरोह के सेनापति मदन चौधरी की मुठभेड़ में मौत के बाद सेनापति पद पर रफीक डब्बावाला काबिज तो हुआ लेकिन पैसे की हवस ने उसे भी यमलोक पहुंचा दिया।
जो सदस्य गिरोह से अलग होते, उन्हें रफीक हलाक कर देता। रफीक ने कभी किसी पर भरोसा नहीं किया। वह हमेशा अकेले काम करता था, खुद योजना बनाता, खुद अंजाम तक पहुंचाता। इसी से पुलिस को उसे नहीं पकड़ पाती थी।
2001 में रफीक ने अली-एसटी के इशारे पर फिल्मकार राकेश रोशन पर हमला किया तो पुलिस पंजा झाड़ कर उसके पीछे पड़ गई। क्यों किया रफीक ने हमला, पूरी जानकारी के लिए पढ़ें – खेल खल्लास।