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केपी के कारनामे – भाग 3 – अश्विन – कुमार की दोस्ती और दुश्मनी

  • अश्विन नाईक का खास दोस्त था केपी
  • सिंगापुर के लिटिल इंडिया इलाके में रहता था केपी
  • हांगकांग में केपी का है कारोबार बरसों से
  • श्रीलंका के आतंकी गिरोह लिट्टे से जुड़े थे तार
  • नशा और हथियारों की तस्करी भी करता था केपी

विवेक अग्रवाल

मुंबई, 01 जुलाई 2016।

कुमार पिल्लै उर्फ केपी के बारे में यह जानकारी मिली है कि उसके गिरोह सरगना अमर नाईक से बेहद मजबूत रिश्ते थे लेकिन गहरी दोस्ती छोटे भाई अश्विन नाईक से थी। अमर नाईक गिरोह के लिए केपी ने काफी बड़े-बड़े कारनामे किए थे।

 

दोस्ती और दुश्मनी

केपी की दोस्ती अश्विन नाईक से काफी अच्छी हो चली थी। लोढ़ा बिल्डर के मुलुंड दफ्तर पर केपी ने एक बार गोलीबारी करवाई थी। इसके चलते दोनों में अनबन हो गई। इस तरह दो अच्छे दोस्तों में दुश्मन बन गई।

Kumar Krishna Pillai alias Kumar Pillai_04

केपी के कारनामे

14 सितंबर 1990

को विकरोळी थाने ने केपी को गिरफ्तार किया था। 1995 मे केपी मुंबई से भाग गया था। केपी के खिलाफ मुंबई में हत्या, हत्या की कोशिश और हफ्तावसूली समेत कई गंभीर मामले दर्ज हैं।

 

पुलिस अधिकारी हालांकी यह भी दावा करते हैं कि केपी ने कपड़ा उद्योगपति सुनीत खटाऊ की सन 1994 में हुई हत्या की साजिश में अमर नाईक का साथ दिया था, लेकिन सूत्रों का कहना है कि पूरे हत्याकांड की साजिश और योजना अमर नाईक ने ही न केवल तैयार की थी, बल्कि अपनी निगरानी में ही करवाया था। इस मामले में केपी का हाथ इसलिए भी नहीं हो सकता है क्योंकि तब वह लिट्टे के साथ मिल कर नशा और छोटे हथियारों की तस्करी पर ध्यान दे रहा है।

 

केपी के खिलाफ विकरोली पुलिस ने आईपीसी की धारा 324 के तहत एक मामला 21 अप्रैल 1990 को दर्ज किया था। यह मामला कुछ लोगों के साथ झगड़े-फसाद का था। उस मामले में वह गिरफ्तार हुआ था। इसमें उसे जमानत मिली तो सीधे देश के बाहर की राह पकड़ी थी।

केपी हुआ फरार

1990 में केपी मुंबई से फरार हो गया था। उसके पहले केपी एक बार गिरफ्तार हुआ था। इस मामले में वह जमानत पर छूट गया और भारत से गायब हो गया था। केपी ने कुछ समय तक तमिलनाडू में भी आसरा लिया था।

 

जमानत तोड़ कर भागा केपी कुछ सालों तक नेपाल में रहा। वहां से नाईक कंपनी के लिए नशा व हथियार तस्करी करता रहा। जब नेपाल में उसे डी-कंपनी के प्यादों से परेशानी होने लगी तो वह कुछ समय के लिए श्रीलंका जाकर रहा था। उसके बाद उसने अपना ठिकाना हांगकांग को बनाया। यहां से वह सिंगापुर चला गया था।

 

सिंगापुर औऱ हांगकांग में केपी

पुलिस सूत्रों के मुताबिक केपी सिंगापुर में एक रेस्तोंरा भी चलाता है। हांगकांग में उसने इलेक्ट्रॉनिक्‍स कारोबार जमा रखा था। उसी की आड़ में वह नशा और हथियार तस्करी करता था।

 

कुमार पिल्लई के संबंध लिट्टे को विदेश से हथियार, गोला-बारूद उपलब्ध करवाता था, बदले में लिट्टे से उसे मादक पदार्थ हेरोईन मिलती थी जिसे अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में बेच मोटी कमाई करता था।

यह भी कहा जाता है कि पिछले कुछ समय से केपी जरायम की दुनिया में सक्रिय नहीं थी। वह चीन, सिंगापुर, हांगकांग, दुबई समेत कुछ खाड़ी देशों के बीच इलेक्ट्रॉनिक्स का कारोबार करता है। उसके कुछ पुराने साथी ही अब केपी के नाम पर लोगों को धमकियां देकर हफ्तावसूली करते हैं।

 

विधायक मंगेश सांगले के भाई अरविंद को सन 2009 में धमकी देने का मामला भी केपी के खिलाफ दर्ज है। पुलिस का दावा कि इस मामले में उनके खिलाफ केपी को सजा दिलाने के लिए पुख्ता सबूत हैं। उस पर मोका के तहत मामला दर्ज हुआ है।

 

पुलिस अधिकारियों का मानना है कि केपी से पूछताछ में न केवल उसके गिरोह के तमाम राज फाश होगें, बल्कि वह अन्य गिरोहों के बारे में भी काफी जानकारियां उगलेगा।

कल पढ़ें – केपी कंपनी के काले कारनामे

 

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