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कुमार पिल्लै उर्फ केपी सिंगापुर में हुआ रॉ के कारण गिरफ्तार!

  • सिंगापुर हवाई अड्डे पहुंचते ही आव्रजन ने किया गिरफ्तार
  • सिंगापुर के लिटिल इंडिया इलाके में रहता है केपी
  • हांगकांग में करता है कारोबार केपी कई बरसों से
  • अमर नाईक की मौत के बाद से फरार था केपी

 

विवेक अग्रवाल

मुंबई, 19 फरवरी 2016।

मायानगरी मुंबई के खतरनाक नाईक कंपनी नामक संगठित गिरोह के सेनापति रहे कुमार पिल्लै उर्फ केपी की गिरफ्तारी के पीछे भारतीय खुफिया एजंसी रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (रॉ) का हाथ है। रॉ के जासूसों ने केपी का नया पासपोर्ट हासिल कर उसे इंटरपोल तक पहुंचाने में महती भूमिका अदा की। इस पासपोर्ट पर केपी की तमाम जानकारियां दर्ज थीं, जिसके कारण वह आज तक बचता आ रहा था।

Kumar Pillai aka KP Passport Mafia

केपी की गिरफ्तारी

सूत्रों के मुताबिक केपी को 18 फरवरी 2016 को तब सिंगापुर आव्रजन अधिकारियों ने पकड़ा, जब वह हांगकांग से वहां पहुंचा था। हवाई अड्डे पर पहुंचे केपी को यह नहीं पता था कि भारतीय खुफिया एजंसियों के पास उसका नया पासपोर्ट पहुंच गया है। इस पासपोर्ट की तमाम जानकारियां इंटरपोल के जरिए उसके लुकआऊट नोटिस में दर्ज हो चुकी हैं।

 

केपी जैसे ही आव्रजन के लिए पहुंचा, उसे अधिकारियों ने पासपोर्ट नंबर के आधार पर अलग बुला लिया। उसके बारे में इंटरपोल अधिकारियों को सूचना भेजी। वहां से इंटरपोल की सदस्य भारतीय एजंसी सीबीआई तक यह जानकारी भेजी जा चुकी है। अब सीबीआई अधिकारियों ने केपी का आईडेंटीटी किट सिंगापुर भेजा है। एक बार पुख्ता शिनाख्त होते ही, केपी को अपनी हिरासत में लेकर सीबीआई का एक दस्ता भारत लौट आएगा।

 

केपी का नकली पासपोर्ट

पासपोर्ट पर उसने अपना नाम कृष्णा कुमार पिल्लै लिखवाया है। यह उसका असली नाम नहीं है। यह उसके पिता का नाम है। यही कारण है कि वह इतने समय से भारतीय खुफिया एवं जांच एजंसियों की आंखों में धूल झोंकने में कामयाब हो रहा था।

Kumar Pillai aka KP Passport Mafia1

हांगकांग में जारी हुए इस भारतीय पासपोर्ट का नंबर जी 2489172 है। इस पर विशिष्ट कूट संख्या (यूनिक कोड नंबर) 1आईएनडी6708065एम17006147 भी लिखा है।

 

15 जून 2007 को जारी हुए इस पासपोर्ट की मियाद 14 जून 2017 तक है। इस पासपोर्ट में उसका जन्म स्थान बांबे (मुंबई) लिखा है।

 

पासपोर्ट पर जारीकर्ता अधिकारी के रूप में हांगकांग के हांगकांग काऊंसूलेट जनरल ऑफ इंडिया के काऊंसिल आर. प्रकाश की मुहर लगी है। उस पर हस्ताक्षर भी इसी अधिकारी के लग रहे हैं। बाजू में ही भारत सरकार की सिंह त्रिमूर्ती वाली गोल मुहर भी लगी है।

 

केपी का सिंगापुर कनेक्शन

केपी के बारे में यह सब जानते हैं कि वह पिछले कई सालों से सिंगापुर में ही रहता है। यहां पर लिटिल इंडिया नामक एक इलाका है। इसमें केपी का परिवार रहता है। यहीं पर एक स्कूल में उसका बेटा भी पढ़ने जाता है।

 

केपी ने अपना कारोबार हांगकांग में जमा रखा है। वह हर 25 दिनों में एक बार हांगकांग से सिंगापुर परिवार से मिलने जाता है। इस तरह से उसका ठिकाना भी लगातार बदलता रहता है और वह किसी विरोधी गिरोह या भारतीय खुफिया एजंसियों के मुखबिरों की निगाहों में आने से भी बचा रहता था।

 

पता चला है कि हांगकांग मे उसे दिखावे के लिए इलेक्ट्रॉनिक्स का कारोबार जमा रखा है। इसकी आड़ में आज भी वह कई काले कारोबार करता है।

 

केपी कैसे आया खूनी खेल में

इंजीनियरिंग की डिग्री रखने वाला यह गिरोह सरगना असल में अपने तस्कर पिता कृष्णा पिल्लै की जघन्य हत्या का बदला लेने के लिए रक्त के इस दलदल में उतरा था।

 

सूत्रों का कहना है कि कृष्णा पिल्लै का विकरोली इलाके में खासा दबदबा था। पूरा दक्षिण भारतीय समाज उनकी बात का मान रखता था, उन्हें बहुत सम्मान भी देता था। कृष्णा की किसी सिलसिले में गिरोह सरगना दाऊद इब्राहिम से कहा-सुनी हो गई थी। दाऊद बेहद गरम मिजाज था और किसी को भी अपने सामने गिनता नहीं था।

 

दाऊद ने कुछ गुंडों को सुपारी देकर कृष्णा की हत्या करवा दी। कुमार उस वक्त जवान ही था। उसने जब देखा कि पिता की हत्या के मामले में पुलिस भी अधिक कुछ करने की स्थिति में नहीं है, और असली गुनहगार दाऊद तक नहीं पहुंच रही है, तो उसी ने पिता की मौत का बदला लेने की ठानी। पिता की मौत से जुड़े कई लोगों को कुमार ने मारा भी था।

 

खूनखराबे के इस दौर में कुमार का संपर्क गिरोह सरगना अमर नाईक उर्फ रावण से हुआ। उसने अमर नाईक के ले कई लोगों की हत्याएं कीं, करवाईं, हफ्तावसूली की।

 

अमर नाईक की पुलिस मुठभेड़ में मौत के बाद भी कुमार ने गिरोह का साथ नहीं छोड़ा। अमर के छोटे भाई अश्विन नाईक से भी लंबे अरसे तक जुड़ा रहा। उसके लिए भी हफ्तावसूली समेत काफी काम केपी ने किए। जब अश्विन नाईक जेल चला गया और गिरोह की गतिविधियां कुछ समय के लिए शांत हो गईं, केपी ने गिरोह से नाता तोड़ने में ही भलाई समझी।

 

केपी कुछ सालों तक तो नेपाल में रहा। वहीं से नशा और हथियार तस्करी करता रहा। जब नेपाल उसे असुरक्षित लगने लगा तो उसने अपना ठिकाना पहले तो हांगकांग को बनाया, फिर वह सिंगापुर चला गया। सिंगापुर में वह भले ही एक व्यापारी के रूप में रहता था, वहां भी नशा और हथियार तस्करी में ही लगा रहा।

Kumar Pillai Colour Photo

लिट्टे से जुड़ा था केपी

अमर नाईक के साथ रहते हुए ही केपी ने श्रीलंका के आतंकी गिरोह लिट्टे से भी संबंध स्थापित कर लिए थे। वह विदेशों से लिट्टे के लिए बेहतरीन किस्म के हथियार, गोला-बारूद और साजो-सामान के साथ ही पेट्रोल व डीजल उपलब्ध करवाने लगा था। बदले में केपी को लिट्टे से बेहतरीन गुणवत्ता की हेरोईन मिलती थी, जिसे वह विश्वस्तरीय नशा तस्करों को बेच कर मोटी कमाई करता रहा।

 

यह भी कहा जाता है कि केपी लंबे समय तक आला दर्जे के नकली डॉलरों के काले कारोबार में भी रहा है। विश्व भर के हथियारों के सौदागरों और तस्करों से केपी ने अच्छे संबंध स्थापित कर लिए थे। इसके चलते वह बाद में यही कामकाज आराम से करता रहा। कहा तो यह भी जाता है कि अमर नाईक अपने साथ दुनिया की सबसे बेहतरीन पिस्तौल ऊजी रखता था, वह भी केपी ने ही उसके लिए उपलब्ध करवाई थीं।

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