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व्यापारियों का राष्ट्र के नेताओं के नाम खुला अनुरोध पत्र

यह पत्र इन दिनों सोशल मीडिया पर खूब प्रचारित-प्रसारित हो रहा है। इसमें सभी व्यापारियों से अनुरोध किया जा रहा है कि यह संदेश सभी व्यापारिक भाईयोंऔर राजनीतिक दलों के नेताओं और मंत्रियों को भेजा जाए ताकी उनकी बात और विचारों पर ध्यान दिया जाए। खत का मजमून कुछ ऐसा हैः

माननीय प्रधान मंत्री जी,

माननीय मुख्य मंत्री जी,

आप लोगों ने14 अप्रैल तक पूर्ण लॉक डाउन देश में घोषित किया है और आगे लाकडाउन बढ़ने की संभावना है। व्यापारियों से अपने प्रतिष्ठान अपनी फैक्ट्री बंद रखने के लिए भी कहा।

महोदय आपने व्यापारियों से यह भी कहा कि अपने कर्मचारियों को व्यापार बंद होने पर भी पूरी तनखा दे।

हमे बस ये जानना है आपने व्यापारियों को क्या समझा हुआ है ? सोने का अण्डा देने वाली मुर्गी…

आपने व्यापारी भाईयों के लिए कौन से सहयोग की प्लानिंग की हुई है , बलिदान तो आपने मांग लिया।

बंदी तो लागू है, सारे व्यापार पूर्णतया बंद है, कृपया बताए व्यापारी कैसे जिंदा रहेगा?

तनखा चालू

बिजली बिल चालू

जीएसटी चालू

बैंक ब्याज चालू

किराया चालू

हाउस टैक्स चालू

जल कर चालू

अन्य सभी कर चालू

व्यापारियों के लिए कहीं भी राहत नहीं है। उपरोक्त सभी मदों में राहत मिल जाए तो हम व्यापारी 30 अप्रैल तक देश हित में व्यापार बंद रखने में पीछे नहीं है।

व्यापारिक आग्रह

– सभी कमर्शियल और घरेलू बिजली बिल अगले 3 माह के लिए 5०% कर दिए जाए।

– कंपनीज और फर्मो को अगले 12 महीने के लिए देय जीएसटी का 5०% ही भुगतान करना हो।

– अगले 6 महीनों के लिए सभी प्रकार के ब्याज माफ किए जाए।

– हर प्रकार की ईएमआई को अगले 6 महीने के लिए बिना ब्याज के रोक दिया जाए।

– कर्मचारी का पीएफ के भुगतान में भी राहत हो और अगले ६ माह तक इसका भुगतान सरकार करे।

– प्रॉपर्टी टैक्स वित्तीय वर्ष 2020-21 के लिए 50% तक घटा दिया जाए।

महोदय, जैसे आप किसानों को बाढ़ और सूखे के समय राहत आपदा देते है , यह तरह कोरोना महामारी भी हम व्यापारी भाईयों के लिए भी किसी विषम आपदा से कम नहीं है।

आप उपरोक्त सहयोग कर दें, बाकी व्यापारी संभाल लेंगे।

सभी व्यापारी

कृपया इस संदेश को  इतना आगे बढ़ाओ कि यह निवेदन आदरणीय प्रधान मंत्री तथा आदरणीय मुख्य मंत्री तक पहुंच जाए । धन्यवाद।

लेख में प्रकट विचार लेखक के हैं। इससे इंडिया क्राईम के संपादक या प्रबंधन का सहमत होना आवश्यक नहीं है – संपादक

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