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पालघर भीड़ हिंसा के असली गुनहगार!

विवेक अग्रवाल

मुंबई, 25 अप्रैल 2020।

पालघर की मॉब लिंचिंग में दो साधुओं और उनके कार चालक की हत्या के मामले में असली हत्यारों तक पुलिस नहीं पहुंच पा रही है। असली हत्यारे तो आज भी मजे से देश भर में खुले घूम रहे हैं।

ये “तथाकथित हत्यारे” सोशल मीडिया पर विभिन्न नकली नामों और फर्जी खातों पर आज भी मजे से विराजमान हैं।

फेसबुक पर भड़काऊ पोस्ट

कुछ ऐसे नफरत फैलाने वाले सोशल मीडिया संदेशों के स्क्रीनशॉट इंडिया क्राइम को उपलब्ध हुए हैं, जो स्थापित करते हैं कि नफरत की जो नदी नफरत के सौदागरों ने बनाई, उसी का नतीजा दो साधुओं और उनके ड्राइवर की बर्बर हत्या है।

नफरत के बीज कुछ लोगों ने बोए, उसे सोशल मीडिया पर विशाल कट्टरपंथी सेना ने खाद-पानी दिया, उसकी जमीन पालघर जिले के तमाम इलाकों में भी तैयार होती रही। मार्च माह से ही नफरत फैलाने का घिनौना केल सोशल मीडिया पर चल रहा था।

गढ़चिंचोली गांव के आदिवासियों के बीच भी यह खबर खूब जोर-शोर से प्रचारित-प्रसारित हो चुकि थी कि वहां कुछ लोग गड़बड़ी फैलाने आने वाले हैं। आदिवासियों को नहीं पता कि ये लोग कौन हैं, कैसे दिखते हैं, किस वाहन से आएंगे, वे तो बस गड़बड़ी फैलाने वालों का इंतजार कर रहे थे। इसके बाद असली साधुओं को ही नफरत की नदी की वहशी गाद ने लपेटे में ले लिया।

नफरत के प्रचारक गिरफ्तार नहीं

इन स्क्रीनशॉट में लिखा है कि “हिंदू साधु के भेष में कोरोना संक्रमित कुछ मुसलमान भेजे गए हैं, जो यह संक्रमण फैलाएंगे।” इन सबकी भाषा एक सी है, बस नाम और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ही अलग-अलग हैं।

फेसबुक पर भड़काऊ पोस्ट

नफरत फैलाने वाले ये शब्द हैं, एक गुप्त सूचना मिली है जिसमें कुछ मुस्लिम ग्रुप जो खुद कोरोना के शिकार हैं। उनको यह मिशन दिया गया है कि हिन्दू बस्तियों में साधु के भेष में जाए और हिंदुओं को संक्रमित करें।

हर व्यक्ति ने ये शब्द सोशल मीडिया पर फैलाते समय यह विचार तक नहीं किया कि उनकी इस करनी से क्या अनर्थ हो सकता है।

नफरत और झूठी खबर फैलाने वाले एक भी आरोपी को पालघर पुलिस या स्टेट सीआईडी ने अब तक गिरफ्तार नहीं किया है।

नक्सलवादियों पर तोमहतों का दौर

कोरोना संक्रमित साधु वेष में मुस्लिमों के आने से संबंधित कुछ लिंक और स्क्रीनशॉट हम यहां दिखा रहे हैं। दोनों साधुओं और उनके ड्राइवर की हत्या के असली गुनहगार इसी मानसिकता के लोग हैं। ये दुर्भाग्यपूर्ण और नृशंस हत्याएं सोची-समझी साजिश का नतीजा कही जा सकती हैं। फर्क इतना ही है कि इस बार मामला उल्टा पड़ गया।

हिंदुत्व के नाम पर और संविधान प्रदत्त बोलने की आजादी का फायदा उठाते हुए अनर्गल बातें और दावे लगातार सोशल मीडिया पर किए जा रहे हैं। मुसीबत यह है कि जब अपना ही तीर पलट कर खुद को आ लगा, तो उसे भी किसी और का चलाया तीर बताने के लिए हाय-तौबा शुरू हो गई। अब कम्युनिस्टों और नक्सलवादियों के कमान से चले इस फर्जी तीर की दिशा में सारे पोस्ट और वीडियो आने लगे हैं।

फेसबुक पर भड़काऊ पोस्ट

मुस्लिमों पर उठा रहे अंगुली

पालघर जिले में हिंसक भीड़ द्वारा चोर समझ कर साधुओं की पीट-पीट कर हत्या का मामला सोशल मीडिया पर आज भी चर्चा में है। सोशल मीडिया पर कई पोस्ट में इस हत्याकांड को अभी भी जातीय और धार्मिक रंग देने की कोशिश हो रही है।

कई समाचार चैनलों में भी साधुओं के हत्ये मुस्लिम बताने वाले दावे हुए हैं। उन्हें वीडियो में शोएब बसकहते लोग सुनाई दे रहे हैं।

महाराष्ट्र सरकार ने इन दावों को खारिज करते हुए कहा कि हत्याकांड से मुस्लिमों का लेना-देना नहीं है।

महाराष्ट्र के गृहमंत्री अनिल देशमुख ने दावा किया कि पालघर मॉब लिंचिंग में जिन 101 लोगों को गिरफ्तार किया है, उनमें एक भी मुस्लिम नहीं है। उन्होंने वीडियो में ओए शोहेब शब्द पर हंगामा मचाने वालों को चेतावनी देते हुए कहा कि लोग ओए बसबोल रहे हैं, उसे गलत तरीके से न फैलाएं।

वायरल वीडियो में मुस्लिमों द्वारा साधुओं की हत्या के दावे और वीडियो में शोएब बसकी कहने वाले दावों को गृहमंत्री ने पूरी तरह खारिज कर दिया है।

फेसबुक पर भड़काऊ पोस्ट

श्री देशमुख के मुताबिक राज्य का पूरा तंत्र कोविड-19 महामारी से लड़ रहा है, कुछ लोगों ने इस मामले को सांप्रदायिक रंग देने की गलत कोशिश की है। उन्होंने कहा कि साईबर सेल को निर्देश दिए हैं कि इस बारे में गलतबयानी और भड़काऊ पोस्ट करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए।

पालघर हत्याकांड के राजनीतिक मायने

महाराष्ट्र की राजनीति और उद्धव ठाकरे की सरकार को गिराने के नाम पर भी इस मामले को देखा जा रहा है। राजनीतिक तौर पर इन बातों में कितनी सच्चाई है, यह तो नहीं कहा जा सकता। इतना जरूर है कि इस घटना का दुरुपयोग राजनीतिक कारणों से जरूर शुरू हो गया है।

पालघर मॉब लिंचिंग के जरिए उद्धव ठाकरे को हिंदू विरोधी स्थापित करने का एक मौका कुछ लोगों ने खोज लिया है। कांग्रेस और एनसीपी के नेतृत्व को इस हत्याकांड के लिए जिम्मेदार ठहराने का एक सिलसिला तैयार कर लिया है। क्षेत्र विशेष में हिंदुत्व का एजेंडा सेट करने का एक मौका बना लिया है।

इसका कितना राजनीतिक फायदा होगा, यह तो नहीं कहा जा सकता, इतना जरूर कह सकते हैं कि इस घटना से पूरे देश की हवा और जहरीली होती चली जाएगी।

नफरत भरी पोस्ट की कुछ लिंक:

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https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=120962982844004&id=107751477498488

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