महालक्ष्मी रेसकोर्स के 22 बुकियों पर मुंबई पुलिस का छापा, 100 से अधिक हिरासत में
विवेक अग्रवाल
मुंबई, 21 दिसंबर 018
मुंबई पुलिस के अधिकारी कल देर शाम महालक्ष्मी रेसकोर्स की साढ़े सात बजे की अंतिम रेस के तुरंत बाद ही जा घुसे, जहां अधिकृत तौर पर घुड़दौड़ पर सट्टेबाजी होती है। पुलिस दस्ते ने वहां मौजूद सभी 22 बुकियों के स्टॉल पर मौजूद तमाम लोगों को हिरासत में ले लिया। इतना ही नहीं, उनके स्टॉल में रखी नकदी, दस्तावेज, बही-खाते, मोबाईल फोन और लैपटॉप जब्त कर लिए।
पंटरों-बुकियों में हड़कंप
पुलिस कार्रवाई से बुकियों और पंटरों में हड़कंप मच गया। पंटर तो वहां से सरपट बाहर भाग निकले।
पता चला है कि मुंबई पुलिस के जोन 3 उपायुक्त अविनाश कुमार के खास दस्ते ने यह छापामारी की है।
पुलिस ने हिरासत में लिए सभी लोगों को ताड़देव थाने में रखा है। इनके खिलाफ जुए और धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया है।
नाईट रेस के बाद छापा
आखिरी शुक्रवार को नाईट रेस थी। नाईट रेस शाम 4 से 7.30 बजे तक होती है। आखिरी रेस का वक्त 7.30 बजे का होता है।
जब आखिरी रेस खत्म हो गई, तभी लगभग ढाई दर्जन पुलिस अधिकारियों का एक दस्ता रेसकोर्स में दाखिल हुआ। एक पंटर ने पता कि ऐसा लग रहा था कि पुलिस आखिरी रेस खत्म होने का इंतजार कर रहे थे। वे शायद यह चाहते थे कि बुकियों के स्टॉल पर अधिक से अधिक नकद रकम जमा हो जाए।
100 से अधिक रिहासत में
पुलिस अधिकारियों ने सभी स्टॉल पर मौजूद बुकियों और उनके कर्मचारियों को तुरंत हिरासत में लेकर ताड़देव थाने पहुंचा दिया। उनसे पूछताछ की जा रही है। उनके पास नकद रकम को लेकर भी जानकारी ली जा रही है।
पता चला है कि मामले की जांच अभी जारी है। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि पूछताछ और दस्तावेजों की छानबीन के बाद तय करेंगे कि कितने और किसे गिरफ्तार करना है।
गुंडों का है यह खेल?
रेसकोर्स में यह चर्चा आम है कि बुकियों के पीछे गवली गिरोह के कुछ गुंडे पड़े थे, जिनकी गुंडागर्दी के खिलाफ अपराध शाखा तक मामला गया था। अपराध शाखा के अधिकारियों ने इन गुंडों पर नकेल कस दी थी।
उसके बाद से ये गुंडे बुकियों से बदला लेने की फिराक में थे। माना जा रहा है कि इन्हीं गुंडों ने मुंबई पुलिस के एक उच्चाधिकारी को टिप देकर रेसकोर्स के बुकियों पर छापामारी करवाई है।
इसी अवैध जुए की मोटी आय का एक हिस्सा डकारने की नीयत से गिरोहबाजों के बीच कुछ समय पहले घमासान मचा था। उनकी दाल तब नहीं गली थी क्योंकि अपराध शाखा अधिकारियों का दखल हो गया था।
अवैध जुआ है जिम्मेदार!
यह आरोप आम है कि रेसकोर्स के अधिकृत बुकियों द्वारा बड़े पैमाने पर नकद में भी जुआ लगाया जाता है, जिसकी अधिकृत तौर पर रसीद नहीं दी जाती है। एक पर्ची दी जाती है, जिस पर उस दिन का खास संकेत और पंटर की लगाई रकम लिखी होती है। पंटर रेस जीत जाता है कि तो अवैध पर्ची दिखा कर जीत की रकम हासिल कर लेता है। यह काम कई बरसों से जारी है।