Corona Pandemic

सुरक्षा का छलावा और आत्मवंचना हैं सेनिटाईज़ेशन टनल

कोविड  से लड़ने के इनोवेटिव सोलुशंस को लागू करने की जल्दबाजी में लाए कई समाधान, अब गले की हड्डी बन गए हैं। उनमे से एक है – सेनिटाईज़ेशन टनल।

सेनिटाईज़ेशन टनल का इस्तेमाल जोरों पर

आजकल पूरे देश में एक प्रोडक्ट हर शहर, गाँव, जिले में बनाया जा रहा है और वो सुर्ख़ियों में हैं क्यूंकि चैनल्स हर उस चीज़ को तवज्जो दे रहे हैं, जो Covid-19 से लड़ने और जान बचाने में मददगार हो! 

इस सेनिटाईज़ेशन टनल की जल्दबाजी में हुई ईजाद और उसकी धड़ल्ले से की नकल ने कई सवाल भी खड़े कर दिए हैं, जिनका उत्तर किसी के भी पास नहीं है।

सबसे पहले एम्स ने इसके इस्तेमाल पर रोक लगा दी है, वहां इस तरह से सेनेटाईजर टनल के जरिए स्प्रे का इस्तेमाल करने वालों में खुजली और इरिटेशन होने लगी थी। 

तस्वीर इंटरनेट से साभार

डॉक्टर्स ने कहा कि जो संक्रमित व्यक्ति हैं, जब उसका वायरस मरता ही नहीं है, तब ऐसी चीजें अमल में लाने का क्या मतलब रह जाता है।

दिल्‍ली एम्‍स ने भी अपने यहां सैनिटाइजर चैंबर पर रोक लगा दी।

रिजेक्ट हुआ जल्दबाजी का आइडिया

आईये पहले समझते हैं कि ये सेनिटाईजेशन टनल हैं क्या:

यह एक ऐसा टनल / बॉक्स / चेंबर है, जिसमें स्प्रिंकलर या  मिस्टीफायर या ह्यूमिडिफायर लगा होता है।

यह इसमें से गुजरने वाले पर लगातार एक केमिकल छिड़कता है, जिसमे 5% सोडियम हायपोक्लोराइड होता है।

इसकी कमियां

• इसका स्ट्रक्चर बेहद नाज़ुक है। सामान्यतः इसमें एमएस पाइप्स और फ्लेक्स / नेट इस्तेमाल किए हैं।

• यह लम्बे समय का समाधान नहीं है।

• केमिकल का लगातार उपयोग मानव शरीर के लिए खतरनाक है।

• कोई भी स्थापित रिसर्च नहीं इसके प्रभावी होने के बारे में।

• पानी का दुरूपयोग होता है।

• यूज्ड वेस्ट लिक्विड का निष्पादन एक बड़ी चुनौती है।

क्या ये कारगर है?

टाइम्स ऑफ़ इंडिया के हवाले से PGI चंडीगढ़ के डाइरेक्टर और COVID 19 की कोर कमिटी के चेयरमेन प्रो. जगतराम का कहना है कि PGI चंडीगढ़ इस प्रोडक्ट को रीकमेंड नहीं करता क्योंकि यह इंसानों पर इफेक्टिव नहीं है।

प्रो. जेएस ठाकुर कहते हैं कि इन टनल्स का उपयोग वास्तव में काल्पनिक सुरक्षा का आभास दिलाता है परंतु इसका उपयोग स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है क्योंकि इसमें सोडियम हायपोक्लोराइड है, जो मानव शरीर के लिए अच्छा नहीं है।

यह जल्दबाजी में बनाया जुगाड़ है, जिसकी सफलता मानसिक रूप से संतुष्टि देने में हो सकती है, न कि बैक्टीरियल या वाईरस डिसइन्फेक्शन में !

तमिलनाडु के हेल्थ डिपार्टमेंट ने इसे “फॉल्स सेन्स ऑफ़ सिक्यूरिटी” वाला बताया है।

उन्होंने यह भी कहा है कि हांलांकि इसमें इस्तेमाल हो रहे सोल्यूशन मे .5% सोडियम हायपोक्लोराइड है, बॉडी के डिसइन्फेक्शन जैसे खून के दाग, थूक आदि के लिए उपयोग में लाया जाता है।

सोडियम हायपोक्लोराइड की 5% मात्रा इन टनल्स में उपयोग हो रही है, जो मानव स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव देती है। इससे स्किन इरीटेशन, सोर थ्रोट या नेज़ल इन्फेक्शन की संभावनाए अत्यधिक बढ़ जाती हैं।

यदि इसका 10 से 15 फीसदी कंसंट्रेशन उपयोग में लाया जा रहा है, तो जलन, स्किन पर सूजन और छाले भी कर सकती है।

यह आँखों में जलन , पेट दर्द, दस्त और उलटी आने का कारण भी हो सकता है।

यह श्वसन प्रक्रिया में बाधा भी उत्पन्न कर सकता है।

WHO के अनुसार ये डिसइन्फेंक्ट्स सिर्फ जमीनी या वस्तुओं के सरफेस पर ही प्रभावी हैं, मानव शरीर में संक्रमण कर चुके कीटाणुमुक्ति में नहीं।

मेक्सिको न्यूज़ डेली के अनुसार वहां यह आइडिया फेल हुआ, साथ ही कोविड-19 फैलाने का कारण बन गया।

और कारण क्या हैं?

यह नमी का वातावरण बनाती है।

इससे सर्दी हो सकती है।

यह कपड़ों को गीला करती है, जो खतरनाक है।

यह तापमान वेरिएशन का भी शिकार बना सकती है।

इस गर्मी में बाहर और टनल के अंदर तापमान 10-15 डिग्री का अंतर हो सकता है।

एक छींक 10 मीटर तक विषाणु फैलाने में सक्षम है। उन्हें रोकने में ये टनल सफल नहीं हैं।

क्यों बने इतनी संख्या में?

इन्हें बनाना बड़ी बात नहीं इसलिए प्लंबर / किसान / इंजिनीयर या कोई भी टेक्नीकल या सामान्य क्यक्ति इसे असेंबल कर लेता है।

लोग इतनी दहशत में हैं कि वे किसी भी तरीके से कोरोना वायरस से बचना चाह रहे हैं !

तो क्या है समाधान?

  • हमें अभी और रिसर्च करने होंगे और वर्क अराउंड की जगह सोलुशंस लाने होंगे।
  • अब टच फ्री, केमिकल फ्री समाधान, सोशल डिस्टेंसिंग, हाथ बार-बार धोना, मास्क पहनना  और घर में रहना ही प्रभावी उपाय है। 
  • माल्स, ट्रांसपोर्ट हब जैसे रेलवे, एयरपोर्ट्स और बस स्टेशंस के लिए इफेक्टिव पालिसी बनानी होगी।
  • भारत जैसे अधिक जनसंख्या वाले देश, सोशल डिस्टेंस न जानने वाले समाज को बड़ी कीमत चुकानी होगी।

सरकार आदेश दे सकती है, जागृत कर सकती है, लेकिन बचना और ज़िंदा रहना आपके हाथ में है।

समीर शर्मा

सायबर कंसलटेंट, मेंटर और पॉजीटिव जर्नलिस्ट

माइक्रोसॉफ्ट, ओरेकल और सिस्को से सर्टिफाइड टेक्नोक्रेट 

संपर्क – unitetheworld@gmail.com

संदर्भ:

  1. मेक्सिको न्यूज़ डेली
  2. PGI चंडीगढ़ प्रेस रिलीज
  3. AIMS रिपोर्ट

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