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सकपकाया सट्टाबाजार : मनपा चुनावों पर सट्टा खोलने में हिचकिचाहट

महज 10 दिन बचे हैं मनपा चुनाव के

अब तक सट्टे के भाव तय नहीं कर पाए बुकी

भाजपा पर ही लगेगा सबसे अधिक सट्टा

फोटो फिनिश में शिवसेना ही होगी भाजपा के साथ

सट्टा खुला तो 20 हजार करोड़ का आंकड़ा होगा पार

 

विवेक अग्रवाल।

मुंबई, 09 फरवरी 2017।

मुंबई महानगपालिका चुनावों पर बुकियों की राय एक नहीं हो पा रही है। उन्हें मतदाताओं का मन पढ़ने में असफलता ही हाथ लग रही है। राजनीतिक उठापटक के चलते भी यह पता करना बुकियों के लिए मुश्किल हो रहा है मतदाताओं का रुझान क्या है। इसी के चलते वे सट्टे के भाव नहीं खोल पा रहे हैं।

खबर लिखे जाने तक सट्टा बाजार में मनपा को लेकर भाव नहीं खुले हैं। जयपुर के तमाम बड़े सट्टा बुकी पिछले तीन दिनों से मुंबई में डेरा डाले बैठे हैं ताकी संगठित रूप से आपसी सहमति के आधार पर हमेशा की तरह ही इस बार भी सट्टे के भाव खोल दें। बुकियों के मुताबिक इस साल मनपा चुनावों में सट्टा करने में लोगों की खासी रुचि है लेकिन राजनीतिक हालात समझ से बाहर जा रहे हैं। वोट और सीटों का गणित बुरी तरह गड़बड़ाया हुआ है। भाजपा और शिवसेना का गठबंधन टूटने से यह मामला और उलझ गया है।

कुल 227 सीटों वाली मनपा पर कब्जे को लेकर खासा घमासान मचा हुआ है। भाजपा और शिवसेना में सीधी लड़ाई जारी है। कॉग्रेस, मनसे, समाजवादी पाटी, बसपा, एमक्यूएम तो कहीं दिख ही नहीं रहे हैं। एक बुकी का कहना है कि पिछले मनपा चुनावों में शिवसेना ने 75, कांग्रेस ने 52, भाजपा ने 31, मनसे ने 28 सीटें जीती थीं। अन्य दलों और निर्दलियों की 28 सीटें थीं। इस बार चूंकी सीटों का बंटवारा न हो सका, इसके चलते शिवसेना और भाजपा अलग हो गए।

एक तरफ जहां शिवसेना ने अपने किए कार्यों का हवाला देकर बेहतर चुनावी प्रचार शुरू किया, वहीं आरोपों की राजनीति और प्रचार आरंभ करने से भाजपा को मतदाताओं के बीच नकारात्मक छवि बन जाने के कारण भी काफी नुकसान होने की संभावना जताई जा रही है।

बुकियों के मानना है कि यदि गुजराती मतदाता अधिक तादाद में मतदान करने निकले तो इससे भाजपा को फायदा होगा। भाजपा की ओर इसके लिए सोशल मीडिया पर एक जोरदार फंडा पेश किया जा चुका है। एक संदेश इन दिनों वारइल हो रहा है, जिसमें गुजराती इलाकों में और जैन त्यौहारों के वक्त मांसाहार पर पाबंदी लगाने का विरोध शिवसेना और मनसे द्वारा करने पर उन्हें सबक सिखाने की अपील की जा रही है।

इसके ठीक उलट शिवसेना की ओर से उद्धव ठाकरे ने साफ तौर पर कह दिया है कि वे न तो उत्तरभारतीयों को अलग वोट बैंक मानते हैं, न ही उनके पास किसी के गलत प्रचार का जवाब देने का समय है। उनका कहना है कि शिवसेना और शिवसैनिक ही मुंबई में हर वक्त लोगों के साथ खड़े होते हैं। कभी कोई विपत्ति आती है तो सबसे पहले शिवसैनिक ही मदद के लिए भागते हैं। मनपा में किए कार्यों और पारदर्शिता के मुद्दे पर केंद्र सरकार की ही एक रपट का हवाला देकर उन्होंने भाजपा की इस मुहिम की भी हवा निकालने की कोशिश की है। बुकियों का मानना है कि इसके चलते मराठी वोट बैंक में शिवसेना के प्रति बेहतर हालात बने हैं। यदि मराठी मतदाता अधिक संख्या में बाहर निकले तो शिवसेना को फायदा होगा। यह बात और है कि मराठी मतदाताओं का विभाजन भी अन्य पार्टियों के साथ होगा।

बुकियों का मानना है कि शिवसेना और भाजपा का गठबंधन टूटना असल में उत्तरप्रदेश में समाजवादी पार्टी में मचे नकली घमासान और नूरा कुश्ती की तरह ही है। बुकियों का कहना है कि चुनावों के बाद आधे-आधे समय तक मेयर की शर्त पर भाजपा और शिवसेना में पुनः गठबंधन हो जाएगा।

बुकियों का कहना है कि इस बार मनसे को पांच से 10 सीटें भी मिल गई हैं तो बहुत बड़ी बात होगी। इंका को भी पुरानी सीटों के मुकाबले आधी सीटें मिलने मुश्किल लग रहा है। बागियों का काण सभी पार्टियों को कुछ न कुछ नुकसान होना तो तय है। बुकी कहते हैं कि इंका असल में धन के अभाव और आपसी फूट के कारण बेहद मुश्किल में फंसी दिख रही है।

भाजपा के सामने पैसे की कोई समस्या नहीं है, वो जीत हासिल करने के लिए पानी की तरह पैसा बहा रही है। बुकियों का कहना है कि एक वोट 500 से 1000 रुपए की कीमत रखता है और थोक वोटों की खरीद-फरोख्त का कारोबार बड़े पैमाने पर चलता है, जो कि इस बार तो कुछ अधिक ही चलेगा।

बुकियों का मानना है कि जिन सीटों पर कांटे की टक्कर होगी, उन पर कम से कम 400 करोड़ रुपए का सट्टा लगेगा ही। मनपा की 227 सीटों पर कुल मिला कर 20 हजार करोड़ रुपए तक का सट्टा लगने की पूरी संभावना है। यह जादुई आंकड़ा महज 10 दिनों में कैसे पहुंचेगा, यह तो अब भाव खुलने पर ही पता चलेगा।

बुकियों का कहना है कि नोटबंदी के कारण बाजार में नकदी का गहरा अभाव होने से धंधा मंदा होने के आसार दिख रहे थे लेकिन हालात सामान्य होते जा रहे हैं। मुंबई में हालांकी दिक्कतें बरकरार हैं लेकिन लोग सट्टा लगा रहे हैं। पांच राज्यों के चुनावों में पंटरों में भारी उत्साह रहा है और इससे यह लग रहा है कि मनपा चुनावों पर भी सट्टा अच्छी तरह लगेगा।

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