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केवल भाजपा शासित राज्यों को कानून तोड़ने की छूट है?

तालाबंदी में फंसे 8000 छात्रों को लाने के लिए आगरा से 200 बसें रवाना।

मध्यप्रदेश के कोटा में तालाबंदी में फसे उत्तर प्रदेश के 8000 और आगरा मंडल के 1700 इंजीनियर और डॉक्टर बनने प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर छात्रों को उनके घरों तक पहुंचाने के लिए 1 मई 2020 को आगरा परिवहन निगम ने 200 बसें कोटा रवाना कीं।

ब्रज में कुल बसों की संख्या करीब 300 है। आगरा आईएसबीटी पर सुबह सभी बसें पहले सेनेटाइज कीं। चालकों के स्वास्थ्य की जांच हुई। थर्मल स्क्रीनिंग हुई। सुबह 10 बजे से बसें भेजनी शुरू हो गईं।

पूरे देश के हजारों छात्र कोटा में इंजीनियर और डॉक्टर बनने के साथ प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करते हैं।

22 मार्च को तालाबंदी के पहले चरण में इन बच्चों ने किसी तरह अपना समय गुजार लिया।

तालाबंदी के दूसरे चरण में 19 दिन बढ़ने के बाद छात्र परेशान हो उठे। कई छात्रों ने अभियान चलाया, तो किसी ने भाजपा के स्थानीय सांसद-विधायक से गुहार लगाई।

सीएम योगी आदित्यानाथ ने 30 अप्रैल 2020 की रात उत्तरप्रदेश की 300 बसें कोटा भेजने का निर्णय लिया। इसमें झांसी रीजन, बनारस रीजन के साथ सबसे ज्यादा 200 बसें आगरा रीजन से भेजीं।

कोटा में पढ़ रहे बच्चों ने व्हाट्सएप और फेसबुक पर अभियान चलाया था। चार दिनों तक यह अभियान चलता रहा। यह अभियान कोटा के जिलाधिकारी के संज्ञान में आया। उन्होंने बच्चों को भेजने की महायोजना तैयार की।

लोकसभा के सभापति ओम बिरला और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का इस अभियान में अहम योगदान रहा।

ओम बिरला ने सीएम यूपी से गुरुवार को बात की। रातों-रात सीएम योगी ने इस योजना को उत्तरप्रदेश परिवहन निगम के अफसरों तक पहुंचाया। उन्होंने कहा कि यूपी का हर बच्चा अगले 72 घंटे में घरों में होना चाहिए। वह भी पूरी सुरक्षा के साथ।

आगरा परिवहन निगम के आरएम एमके त्रिवेदी का कहना है कि मुख्यालय से निर्देश मिलते ही 200 चालक-परिचालकों को बुलाया। सभी बसों को दोबारा सुबह तक सेनेटाइज करवाया। चालकों को मास्क देने से पहले स्वास्थ्य परीक्षण, थर्मल स्क्रीनिंग की।

अभियान की कमान रोडवेज के सेवा प्रबंधक एसपी सिंह ने संभाली। उन्होंने बताया कि एक बस में 25 से 30 बच्चे बैठेंगे। एक पुलिसकर्मी और एक होमगार्ड हर बस में रहेंगे। शनिवार रात या रविवार सुबह तक ये बसें बच्चों को घर तक छोड़ कर आएंगी। लंबी दूरी पर जाने वाली बसों में दो चालक भेजे गए।

पूरे अभियान में विजेंद्र सिंह, एआएम जयकरन सिंह, रोडवेज के इंप्लाइज यूनियन के मंत्री प्रमोद श्रीवास्तव, राजकुमार गौतम, प्रमोद जादौन के साथ इंप्लाइज यूनियन की टीम लगी रही।

देश भर में लाखों की संख्या में गरिब मजदूर तालाबंदी में फंसे हैं। केंद्र और राज्य सरकारों से अपने घर भेजने की गुहार लगा रहे हैं, लेकिन उनकी सुनने वाला कोई नहीं।

जो समाजसेवी आवाज उठाता है तो उस पर धारा 188 के तहत मामला दर्ज कर जेल भेजा जा रहा है। उत्तरप्रदेश में योगी सरकार तो रासुका तक लगा रही है।

मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश, कर्नाटक में भाजपा की सरकारे हैं, केन्द्र में भी भाजपा की सरकार है, इसलिए वह केवल भाजपाशासित राज्यों में तालाबंदी को नजरअंदाज कर मनमाने ढंग से संभ्रांत लोगों को घरों तक पूरी सरकारी सुरक्षा में घरों तक पहुंचा रहे हैं।

महाराष्ट्र, दिल्ली, झारखंड, कलकत्ता तथा छत्तीसगढ़ में, जहाँ गैर-भाजपा सरकारें हैं, वहाँ तालाबंदी में फंसे मजदूरों को जबरन रोके रखा है।

मोदी सरकार को क्या केवल संभ्रांत लोगों की ही चिंता है? गरीब पर दयादृष्टि कब करेंगे?

ऋषिकेश राजोरिया

लेख में प्रकट विचार लेखक के हैं। इससे इंडिया क्राईम के संपादक या प्रबंधन का सहमत होना आवश्यक नहीं है – संपादक

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