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सीटीवी अंक 14 – अंडरवर्ल्ड के मुखबिरों का जाल

वे खबरी हैं, मुखबिर, जीरो नंबर, खबरची, मोल… न जाने किन – किन नामों से पहचाने जाते हैं।

मुखबिरों की जितनी जरूरत पुलिस और खुफिया एजंसियों को होती है, उतनी ही माफिया सरगनाओं और गिरोहों को भी होती है।

उनके बिना सरकारी एजंसियों और अपराधियों, दोनों का ही काम नहीं चलता है।

वे किस तरह जान जोखिम में डाल कर काम करते हैं और बदले में क्या हासिल करते हैं।

वे कौन हैं और कहां से आते हैं, सारी तफसील जानिए विवेक अग्रवाल की जुबानी।


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