Drugs: मौत की म्यांऊ-म्यांऊ – 1 : पुलिस सख्ती ने बढ़ाया म्यांऊ-म्यांऊ का भाव
विवेक अग्रवाल
मुंबई, 1 मई 2015
पुलिस की सख्ती और “एमडी” के प्रतिबंधित नशे की सूची में शामिल होने के महज एक माह बाद ही इस खतरनाक जानलेवा नशे “म्यांऊ-म्यांऊ” का भाव आसमान छू रहा है। जो नशा प्रति ग्राम 400 से 500 रुपए में आसानी से सड़कों पर उपलब्ध हो रहा था, अब वही 1,200 से 1,500 रुपए प्रति ग्राम की कीमत पर मिल रहा है।
भाव बढ़े म्यांऊ-म्यांऊ के
न केवल पुलिस बल्कि समाजसेवकों और अभिभावकों ने भी बड़े पैमाने पर इस खतरनाक नशे के खिलाफ विरोध का बिगुल बजा दिया है। लोगों में फैली चेतना के कारण अब एमडी नशे के तस्करों और विक्रेताओं ने खासी सावधानी बरतनी शुरु की है।
नशा विक्रेता न केवल इस नशे की आपूर्ती के दौरान अब ये ध्यान रख रहे हैं कि किसी भी अनजान आदमी अथवा युवक से इस बारे में सौदा न करें बल्कि भाव भी दो माह के मुकाबले पर दुगुना वसूला जा रहा है। बहाना यही लगाया जा रहा है कि अब एमडी की तस्करी मुश्किल हो गई है और बाजार में इसकी बेहद कमी हो चली है।
इन कारणों से एक तरफ जहां दक्षिण मुंबई के बाजारों में एमडी की कीमत आज प्रति ग्राम 1,500 रुपए तक मिल रही है, वहीं मालवणी और मुंब्रा जैसे इलाकों में यह नशा लगभग 1,200 रुपए प्रति ग्राम की दर पर बिक रहा है।
रात में निकलती है म्यांऊ-म्यांऊ
पहले तो दिन में भी नशा बेचने वालों की टोलियां यह नशा आराम से बेचती घूम रही थीं, लेकिन अब यह नशा रात में बेचा जा रहा है। रात में 12 बजे से लेकर सुबह के 4 बजे तक इस नशे के सौदे हो रहे हैं। उनके मुख्य ठिकाने ऐसी गलियां होती हैं, जहां पर पुलिस आमतौर पर गश्त के लिए नहीं पहुंचती है
नशे के सौदागरों ने मुख्य रूप से किशोर एवं युवाओं को ही इस नशे का लती बनाने की योजना तैयार की थी। वे अपनी साजिश में एक हद तक कामयाब भी रहे हैं। सबसे अधिक किशोर उम्र लड़के व लड़कियां ही इस नशे की गिरफ्त में हैं। ये किसी भी हाल में नशा हासिल करने की कोशिश करते हैं, रात में भी अकेले नशा लेने वे इन खतरनाक गलियों में जाने से परहेज नहीं करते हैं।
ट्रेन में सफर कर रही है म्यांऊ-म्यांऊ
मुखबिरों का कहना है कि लगातार जारी छापामारी का नतीजा यह निकला है कि अब एमडी के तस्कर और सौदागर अपनी काली करतूत भले ही जारी रखे हैं लेकिन बेहद सावधानी से काम कर रहे हैं। वे अब बिल्कल नए तरीके इजाद कर रहे हैं, जिससे कि उनका नशा पुलिस या अन्य जांच व खुफिया एजंसियां पकड़ न सकें।
पता चला है कि एमडी छुपा कर लाने के लिए जो तरीके इस्तेमाल हो रहे हैं, उनमें सबसे आसान और सस्ता तरीका रेलवे पार्सल में बुकिंग करके भेजना है। लगभग 200 किलोग्राम की एक खेप मुंबई के लिए भेजी जा रही थी, जो रतलाम में ट्रेन से बरामद होनी बताई जा रही है।
मुखबिरों के मुताबिक इस तरह से माल भेजने में किसी के भी गिरफ्तार होने की संभावना शून्य हो जाती है। माल पकड़ा जाए तो भी न तो उसे पार्सल में लगाने वाले का पता और पहचान फर्जी होती है, बल्कि माल लेने वाले का भी पता और पहचान नकली ही होते हैं। माल पकड़े जाने की जानकारी बीच में ही मिल जाती है और इस तरह से भेजने और लेने वाले दोनों ही व्यक्ति गायब हो जाते हैं। इस तरह गिरोह के बारे में पता करना जांच व खुफिया एजंसियों के लिए असंभव हो जाता है।
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