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देश को पूरी तरह कंगाल बनाने में जुटे मोदी

लॉकडाउन के 40 दिन पूरे होने के बाद यह और आगे बढना चाहिए या नहीं, इसको लेकर आदरणीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी नई नौटंकी में जुट गए हैं. उन्होंने रेडियो पर मन की बात में देशवासियों को कोरोना वायरस से डराने का सिलसिला जारी रखा और लोगों को बेवकूफ समझते हुए सलाह दी कि एक दूसरे से कम से कम दो गज दूरी बनाकर रखने में ही भलाई है. कोरोना वायरस भले ही अत्यंत भयानक महामारी न हो, लेकिन मोदी इसके बहाने अपने स्वार्थ पूरे करने के लिए देश की 130 करोड़ से ज्यादा जनसंख्या के साथ ऐसा ख़तरनाक प्रयोग करने में जुट गए हैं, जो अगर सफल हो गया तो देश ऐसी अंधी सुरंग में प्रवेश कर जाएगा, जिसमें से बाहर निकलने में सदियां लगेगी.

प्रधानमंत्री मोदी न तो चिकित्सा विषेशज्ञ हैं और न ही ज्यादा पढ़े-लिखे, समझदार व्यक्ति हैं. उन्होंने जो कुछ भी पढ़ा-सीखा-समझा है, वह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से सीखा है. आरएसएस की शिक्षा मनुष्य को आपस में संप्रदाय-जाति-वर्ग-वंश आदि के आधार पर भेदभाव करना सिखाती है. इस संगठन की स्थापना 1925 में समाज में मुसलमानों से नफरत का सिलसिला शुरू करने के लिए हुई थी. इसके स्वयंसेवक एक तरफ हिंदुत्व की बात करते हुए अनुशासन और समाजसेवा का दिखावा करते हैं, दूसरी तरफ हिन्दुओं को मुसलमानों से नफरत करना सिखाते हैं. इसके प्रचारक आजीवन अविवाहित रहते हुए संघ की विचारधारा का प्रचार करते हैं. मोदी ने यहां भी बेईमानी की. वह कम उम्र में विवाह के बाद घर से भागकर आरएसएस में भर्ती हुए और पूर्णकालिक प्रचारक बन गए. उन्होंने खूब पर्यटन और देशाटन किया. अमेरिका तक घूम लिया.  देशवासियों को उनके विवाहित होने का पहली बार तब पता चला, जब 2014 में बनारस से लोकसभा प्रत्याशी के रूप में नामांकन दाखिल करते समय उन्होंने स्वयं को विवाहित बताया. वह भी इसलिए कि ऐसा करना कानूनी तौर पर जरूरी था. ऐसा नहीं करते तो चुनाव नहीं लड़ पाते और जीत भी जाते तो गलत जानकारी देने के आधार पर उनका चुनाव रद्द हो जाता। इससे पहले वह अपनी वैवाहिक स्थिति को छिपाते हुए दस साल गुजरात के मुख्यमंत्री रह चुके थे.

यह उल्लेख इस तथ्य को रेखांकित करने के लिए है कि मोदी अपने जीवन में कभी भी किसी के प्रति ईमानदार नहीं रहे. वह उस परिवार के प्रति ईमानदार नहीं रहे, जहां  उन्होंने जन्म लिया, वह अपनी पत्नी के प्रति ईमानदार नहीं रहे, जिसके साथ उनका विवाह हुआ, वह उस संस्था आरएसएस के प्रति भी ईमानदार नहीं रहे, जिसकी बदौलत वह सत्ता तक पहुंच गए. वह गुजरात में मुख्यमंत्री रहते हुए अपने प्रदेश की जनता के प्रति ईमानदार नहीं रहे. उनके शासन काल में हिंदू-मुस्लिम दंगों का नया रेकार्ड बना. छल-कपट से भरे झूठे प्रचार के सहारे उन्होंने भाजपा में प्रधानमंत्री पद की दावेदारी हासिल की. खुद को कट्टर हिन्दू के रूप में प्रचारित करते हुए उन्होंने बनारस से लोकसभा का चुनाव लड़ा और साम, दाम, दंड, भेद के सहारे देश के सबसे महत्वपूर्ण सर्वोच्च पद पर कब्जा करते हुए पहली बार, फिर दूसरी बार भी प्रधानमंत्री बन गए.

प्रधानमंत्री रहते हुए मोदी ने साबित कर दिया है कि वह देश के प्रति भी ईमानदार नहीं हैं. पहली बार नोटबंदी और दूसरी बार 40 दिन लॉकडाउन. काला धन ख़त्म करने के नाम पर उन्होंने नोटबंदी की थी और लोगों को कोरोना नामक महामारी से बचाने के नाम पर उन्होंने लॉकडाउन किया है. जिस तरह नोटबंदी से काला धन समाप्त नहीं हुआ, उसी तरह लॉकडाउन से कोरोना वायरस का प्रकोप भी  ख़त्म नहीं होगा. बीमारियों से निबटने का काम नागरिकों का खुद का है. इसमें स्थानीय निकाय और  प्रदेश सरकारें मदद करती हैं. कोई भी बीमारी देश में हर जगह एक जैसी नहीं होती. इसके बावजूद प्रधानमंत्री मोदी हर काम का श्रेय अकेले लूटने की फितरत के चलते अपने दम पर कोरोना वायरस से लड़ने की नौटंकी कर रहे हैं और ऐसा करते हुए उन्होंने पूरे देश को आर्थिक विनाश की तरफ धकेल दिया है.

इस तरह मोदी देश की जनता के साथ क्रूर मजाक कर रहे हैं. ऊपर से प्रचार यह किया जा रहा है कि  विश्व में भारत की सराहना हो रही है. यह प्रचार स्वयं मोदी अपने मुखारविन्द से कर रहें हैं और गोदी मीडिया के जरिए इसका विस्तार हो रहा है. हकीकत यह है कि इस तरह का प्रचार भारत के लोकतंत्र के लिए खतरे की घंटी है. मोदी विश्व नेता बनने के चक्कर में देशवासियों को अपना गुलाम बनाना चाहते हैं. वह देश को पूरी तरह बर्बाद कर देने वाला वातावरण बनाने में जुटे हैं. वह चाहते हैं कि प्रत्येक देशवासी डिजिटल हो जाए, समस्त आर्थिक लेन-देन डिजिटल हो जाए. हरेक के पास मोबाइल फोन हो. मोबाइल की स्क्रीन पर लोग तस्वीरें देखें, लिखने-पढ़ने के काम भी मोबाइल से ही करें. कोई भी सामान खरीदने के लिए घर से न निकलें, मोबाइल से कोई भी सामान अपने घर ही मंगवा लें.

इस तरह मोदी ने कोरोना के बहाने देश की अर्थ व्यवस्था को नष्ट करते हुए उसे ई-कामर्स कंपनियों के हाथों गिरवी रखने का कार्यक्रम बना लिया है. नोटबंदी के बाद मोदी ने खुले आम नोट बांटकर और पाकिस्तान का हौवा खड़ा कर चुनाव जीत लिया था. अब वह देशवासियों को पूरी तरह कंगाल बनाएंगे. मेहनतकश और ईमानदार लोगों को भुखमरी के कगार पर लाकर छोड़ने के बाद देश में आर्थिक आपातकाल लागू करेंगे. इसके बाद वह पूर्ण आपातकाल भी लगा सकते हैं. अगर दुनिया के सामने लोकतंत्र का नाटक करने की जरूरत पड़ी तो भाजपा के लिए वोट मांगते समय मोदी का नारा होगा,  तुम मुझे वोट दो, मैं तुम्हें रोटी दूंगा. इसके बाद मोदी फिर चुनाव जीत जाएंगे और देश को बर्बादी के अगले पायदान की तरफ बढ़ा ले जाएंगे.

ऋषिकेश राजोरिया

लेखक देश के वरिष्ठ पत्रकार हैं। देश, समाज, नागरिकों, व्यवस्था के प्रति चिंतन और चिंता, उनकी लेखनी में सदा परिलक्षित होती है।

(लेख में प्रकट विचार लेखक के हैं। इससे इंडिया क्राईम के संपादक या प्रबंधन का सहमत होना आवश्यक नहीं है – संपादक)

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