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Mumbai Mafia: Secrets of Haji Mastan: Part 05: हाजी मस्तान, करीम लाला औऱ दिलीप कुमार को बेटे न होने का रंज

इंद्रजीत गुप्ता

मुंबई, 28 फरवरी 2023।

हाजी मस्तान को बेटा ना होने का गहरा दुख था। वही हालत उसके सबसे करीबी दोस्त करीम लाला की भी थी। इसी तरह दिलीप कुमार को भी सदा यह दुख सालता रहा कि कि उन्हें बच्चे नहीं हो पाए। दिलीप कुमार को अफसोस रहा कि बेटा न हुआ।

तीनों जिगरी दोस्त रहे, और औलाद के मामले में तीनों का नसीब एक सरीखा ही रहा। तीनों को बेटे का सुख न मिला।

यह भी एक अजीब बात थी कि जब तीनों किसी मुशायरे या सार्वजनिक कार्यक्रम में शरीक होते थे, तब तीनों दोस्त साथ बैठते थे। लोग कानाफूसी करते थे कि इनको बेटे का सुख हासिल नहीं है।

करीम लाला को एक बेटा मिला तो सही लेकिन उसका सुख नसीब में न था। यह बेटा साल की उम्र में स्वर्गवासी हो गया। उसके बाद करीम को औलाद नहीं हुई। करीम लाला को इसका सदा ही गहरा दुख बना रहा।

इसके ठीक उलट करीम लाला के भाई रहीम लाला को खुदा ने तीन बेटे दिए।

दाऊद का खूनी बदला

रहीम के तीन बेटों से एक को दाऊद ने गोलियों से भून कर हत्या करवाई थी। गिरोहों की आपसी रंजिश और अदावत में दाऊद के गुंडों ने सरेराह गोली मार कर रहीम लाला की हत्या कर दी।

रहीम के दूसरे बेटे रहमान की भी दाऊद ने सुपारी उठवा दी थी लेकिन रहमान लंदन चला गया। इससे रहमान की जान बच गई। रहीम लाला के तीसरा बेटा सलाउद्दीन लकवाग्रस्त था। रहीम की एक बेटी भी थी।

दाऊद ने करीम लाला पर भी दो बार हमला करवाया लेकिन वह बच गया था। असल में दाऊद की अदावत आलमजादा व औरंगजेब पठान भाईयों के अलावा समद खान से थी। तब यह धारणा आम थी कि ये तीनों करीम लाला के गिरोह में हैं। उसके इशारे पर काम करते हैं। सच तो यह है कि तीनों का करीम से कोई संबंध नहीं था, ना ही करीम इन तीनों को पसंद भी करता था।

जिना बाई खबरी की मध्यस्थता

जब करीम लाला को यह पता चला कि दाऊद उसके पीछे अकारण ही पड़ा है, तो उसने यह बात जिना बाई दारूवाला उर्फ जिनाबाई खबरी से की।

जिना बाई दारूवाला की डोंगरी खड़क पर रहती थी। उसकी दाऊद और करीम लाला से बहुत करीबी थी। दाऊद भी जीना बाई की दिल से इज्जत करता था। जिना बाई ने दाऊद को फोन करके समझाईश दी। उसे कहा कि समझौते के लिए तुम तुम मक्का आओ। मैं करीम लाला को भी भेजती हूं। दाऊद ने जिना बाई के कहने पर मक्का जाकर दाऊद और करीम से मुलाकात की। दोनों ने कुरान पर हलफ उठाया। दाऊद और करीम लाला में समझौता हो गया। तब जाकर कहीं करीम लाला की जान बची।

बात 1987 की है। यह भी कहा जाता है कि दाऊद ने मक्का में काली चादर याने गिलाफ गिलाफ पकड़ कर कसम खाई कि लाला आज के बाद मैं तुम्हें नहीं मारूंगा। मेरा बाप मर गया लेकिन आज से तुम मेरे बाप हो। करीम लाला ने दाऊद से माफी मांगी, तब जाकर दाऊद और करीम के बीच खूनी खेल बंद हुआ था।

जारी…

अगले अंक में पढ़ें: Secrets of Haji Mastan: Part 06: मस्तान की बंदूकबाजी भी रही है मशहूर

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