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अब वो हो रहा है जो पहले कभी नहीं हुआ, रोम में गूंजा मोदी का नारा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के  पांच दिन के विदेश दौरे इटली की राजधानी रोम पहुंचे  जहां वह जी-20 शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए। वहाँ जो कुछ हुआ वो भारत के इतिहास में अभूतपूर्व है। इटली में  उत्साही भारतीय समुदाय के लोगों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का गर्मजोशी के साथ अभिवादन किया और उन्होंने इस दौरान उनके नाम के नारे लगाए व मंत्रोच्चार भी किया। मोदी जब रोम पहुंचे तो उनके स्वागत के लिए पहुंचे भारतीयों और इटली के लोगों ने जय श्रीराम कह कर उनका स्वागत किया। इस दौरान 3 महिलाओं ने शिव तांडव स्त्रोतम गाया और हैरानी की बात ये है कि इन 3 में से 2 महिलाएं इटली की नागरिक थीं। पीएम मोदी ने भी इनके साथ ओम नम: शिवाय, जय श्रीराम और भारत जिंदाबाद के नारे लगाए।

सोशल मीडिया पर जारी वीडियो में प्रधानमंत्री मोदी पार्क में भारी सुरक्षा व्यवस्था के बीच काफी प्रसन्नता के साथ भारतीय समुदाय के लोगों का अभिवादन स्वीकार करते और उनसे हाथ मिलाते दिखे। भारतीय समुदाय के लोगों से मिलने से पहले प्रधानमंत्री मोदी ने पियाज्जा गांधी में महात्मा गांधी की आवक्ष प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित की।

भारतीय समुदाय के लोग अपने हाथों में तिरंगा लिये हुए थे और उत्साह के साथ मोदी का नाम ले रहे थे। प्रधानमंत्री ने हाथ हिलाकर उपस्थित लोगों का उत्साहवर्द्धन किया। भारतीय समुदाय के लोगों ने मोदी को कुछ किताबें भी भेंट की। अंत में प्रधानमंत्री मोदी ने लोगों के साथ ‘ओम नम: शिवाय’ का उच्चारण भी किया। उन्होंने उनके (लोगों) के प्रयासों की सराहना की और उनके साथ कुछ बातें भी की  मोदी ने वहां उपस्थित समुदाय के एक सदस्य के चोटिल हाथों के बारे में भी जानकारी ली। प्रधानमंत्री मोदी ने जी-20 शिखर सम्मेलन में शिरकत के लिए यहां आगमन के बाद पहले आधिकारिक कार्यक्रम के तहत यूरोपीय परिषद अध्यक्ष चार्ल्स मिशेल और यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयेन के ‘सार्थक चर्चा’ की।

इस यात्रा के दौरान जी-20 सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कोरोना महामारी से जंग को लेकर वन अर्थ-वन हैल्थ का मंत्र दिया। प्रधानमंत्री ने जी-20 देशों को भारत के आर्थिक सुधार और सप्लाई चैन डायवर्सिफिकेशन में अपना भागीदारी बनाने के लिए आमंत्रित किया। प्रधानमंत्री ने कोरोना महामारी के खिलाफ लड़ाई में भारत के योगदान का उल्लेख किया। भारत ने इस दौरान 150 देशों को मैडिकल सप्लाई की है।

‘वन अर्थ-वन हैल्थ’ के दृष्टिकोण के पीछे महामारी के खिलाफ लड़ाई में सहयोगात्मक दृष्टिकोण ही है। इसका अर्थ यही है कि कोरोना महामारी की जंग सभी देश मिलकर लड़ेंगे तो जीत जाएंगे। प्रधानमंत्री ने जी-20 देश के नेताओं से वादा किया कि भारत अगले साल के अंत तक कोविड-19 वैक्सीन की 5 अरब डोज बनायेगा और यह डोज केवल भारतीयों के लिए नहीं होंगी बल्कि इन्हें पूरी दुनिया को दिया जाएगा।

मोदी के स्वर में सभी देशों ने अपना स्वर मिलाया और दुनिया के गरीब देशों तक टीकें पहुंचाने की कोशिशों को दोगुना करने पर सहमति जताई। अमीर देशों में तो 70 प्रतिशत आबादी का वैक्सीनेशन हो चुका है जबकि गरीब देशों में सिर्फ 3 प्रतिशत आबादी का ही टीकाकरण हुआ है। यह अनैतिक भी है और भेदभावपूर्ण भी है।कोरोना वैक्सीन को लेकर गंभीर असंतुलन है। दवा कंपनियां पेटेंट कानूनों का सहारा ले रही हैं। कहीं अन्य प्रतिबंध आड़े आ रहे हैं।

यह दुनिया के अमीर देशों की जिम्मेदारी है कि वे गरीबों को वैक्सीन मुहैया कराएं। यदि कोरोना वैक्सीन का उत्पादन नहीं बढ़ाया गया तो 2024 तक भी दुनिया महामारी से जूझती रहेगी। दुनिया मास्क पहनने की बाध्यता से, टेस्ट और भय से जूझती रहेगी। अभी तक भारतीय कोविड-19 वैक्सीन को डब्ल्यूएचओ ने इमरजैंसी अप्रूवल नहीं दी है। कोवैक्सीन लगाने वालों को अभी भी अमेरिका में प्रवेश की अनुमति नहीं दी जा रही। प्रधानमंत्री मोदी ने जी-20 देशों से कोवैक्सीन के डब्ल्यूएचओ  से अप्रूवल दिलाने में मदद मांगी। अगर अप्रूवल मिल जाती है तो भारत को 5 अरब वैक्सीन बनाने का टारगेट हासिल करने में आसानी होगी।

प्रधानमंत्री ने कैथोलिक चर्च के प्रमुख पोप फ्रांसिस से मुलाकात की जो ऐतिहासिक रही। पोप फ्रांसिस ने कोरोना काल में भारत द्वारा दूसरे देशों की मदद करने पर सराहना की और भारत आने का निमंत्रण भी स्वीकार कर लिया। दोनों में जलवायु परिवर्तन का सामना करने और गरीबी मिटाने जैसे दुनिया को बेहतर बनाने वाले मुद्दों पर एक घंटे तक चर्चा हुई। समाज, राष्ट्र और सम्पूर्ण विश्व के कल्याण के भाव से जब हस्तियां आपस में मिली हैं तो शुभत्व का नव सूर्य आलोकित होता है। मोदी और पोप की मुलाकात से भारत का गौरव बढ़ा है। भारत वसुधेव कुटुम्बकम् की भावना में विश्वास करता है और सभी धर्मों का सम्मान करता है। यह मुलाकात शांति-सद्भाव और अंतर धार्मिक संवाद की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है। किसी भारतीय प्रधानमंत्री की पोप से 20 साल बाद मुलाकात हुई है। इससे पहले अटल बिहारी वाजपेयी ने पोप से मुलाकात की थी। अब तक देश के पांच प्रधानमंत्री पोप से मिल चुके हैं। भारत भी दुनिया में शांति के लिए प्रयास कर रहा है जबकि पोप भी दुनिया में शांति का प्रयास कर रहे हैं।

जहां तक प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन, फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रो के साथ मुलाकातों का सवाल है। जो तस्वीरें सामने आई हैं वह इस बात का प्रमाण है कि वैश्विक नेताओं की प्रधानमंत्री के साथ खास बाडिंग नजर आई। ग्लोबल लेबल पर मोदी का ‘पर्सनल टच’ साफ दिखाई दिया। मोदी और बाइडेन की गर्मजोशी अलग से ही दिखी। जर्मनी हो या जापान सब प्रधानमंत्री पर मेहरबान नजर आये। अब सोशल मीडिया पर इन मुलाकातों के वैश्विक प्रभाव पर चर्चा चल पड़ी है।

नरेन्द्र मोदी वैश्विक नेता की छवि तो बहुत पहले ही बना चुके हैं। हमारे सफल टीकाकरण अभियान से पूरी दुनिया में भारत का कद काफी ऊंचा हुआ है। यह अभियान स्वतंत्र भारत के इतिहास में एक अभूतपूर्व प्रयास रहा। पूरी दुनिया में नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में टीम इंडिया की ताकत दिखाई पड़ी। अब उम्मीद है कि डब्ल्यूएचओ कोवैक्सीन को जल्द अप्रूवल दे देगा और वैक्सीन उत्पादन में आ रही बाधायें दूर होंगी। इससे भारत गरीब देशों को वैक्सीन आसानी से पहुंचा सकेगा।  इसमे कोई अतिशयोक्ति नहीं है कि  प्रधानमंत्री की रोम यात्रा से भारत का सम्मान बढ़ा है।

लेखक वरिष्ठ स्वतंत्र पत्रकार हैं। विगत चार दशकों से पत्रकारिता में सक्रिय हैं।

अ-001 वैंचर अपार्टमेंट, वसंत नगरी, वसई पूर्व -401208 (जिला – पालघर), फोन / वाट्सएप +919221232130

(उक्त लेख में प्रकट विचार लेखक के हैं। संपादक मंडल का इनसे सहमत होना आवश्यक नहीं है।)

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Ashok Bhatia, Journalist, Writer, Mumbai, India, अशोक भाटिया, पत्रकार, लेखक, मुंबई, भारत,

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