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क्या संघ अपने रास्ते से भटक गया है?

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, संक्षेप में आरएसएस, इस समय क्या कर रहा है? यह विश्व का सबसे बड़ा स्वयंसेवी संगठन है। इसके अपने शब्दों में इसका गौरवशाली इतिहास रहा है। यह हिंदुत्व का प्रचार करता है।

कोरोना वायरस के कारण विश्व में जो परिस्थिति बनी है और उसके कारण भारत का जो हाल कर दिया गया है, उसमें स्वयंसेवकों की वैसी भूमिका दिखाई नहीं दे रही है, जैसी उनसे उम्मीद की जाती है।

जगह-जगह जो संघ की शाखाएं लगा करती थी, वह सिलसिला बंद हो गया है। शिक्षा के क्षेत्र में संघ का जो महती कार्य चल रहा था, उस पर भी विराम लग गया है। संघ प्रमुख की भूमिका गौण हो गई है। अब सारे स्वयंसेवक प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के अंधभक्त के रूप में तब्दील हो गए हैं। देशहित में संघ की जो विचारधारा थी, वह ठंडे बस्ते में चली गई है। जो जिंदगी भर संघ के हित में कार्य करते रहे, ऐसे कई बुजुर्ग हतप्रभ हैं और संघ प्रमुख मोहन भागवत को भी समझ में नहीं आ रहा है कि करें तो क्या करें?

हिंदुत्व की विचारधारा पर आधारित एक विशाल संगठन का इस स्थिति में पहुंच जाना अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है।

कोरोना के खिलाफ जंग में हर देशवासी को शामिल करते हुए घर में बैठा दिया गया है। सारे उद्यम, उपक्रम, संस्थान, संगठन छुट्टी पर हैं।

कोरोना के खिलाफ जंग के नाम पर जो भी करना है, उसके लिए अकेले प्रधानमंत्री मोदी निर्देश दे रहे हैं।

यह लोकतंत्र है, जिसे हम संघीय गणराज्य कहते हैं, उसमें अब प्रधानमंत्री के अलावा किसी की बात का कोई महत्व नहीं।

प्रधानमंत्री मोदी के दिशा-निर्देशों पर अमल करने की जिम्मेदारी राज्य सरकारों की है। कोरोना के प्रकोप से निबटने के लिए प्रधानमंत्री का एक अलग कोष बन गया है।

तमाम कंपनियों से कहा गया है कि वे सार्वजनिक हित में जो भी अंशदान देना है, वह इसी कोष में दें। मुख्यमंत्री सहायता कोष में राशि देंगे तो आयकर में छूट नहीं मिलेगी। प्रधानमंत्री सहायता कोष और राष्ट्रीय आपदा राहत कोष में धनराशि नहीं देनी है। पीएम केयर फंड ही प्रमुख है, जिसके बारे में आरटीआई से जानकारी प्राप्त नहीं की जा सकती।

पीएम केयर फंड में जो धन जमा हो रहा है, उसमें से राज्य सरकारों को राशि नहीं दी जा रही है। ऐसी कोई सूचना नहीं है कि उसका उपयोग कोरोना से बचाव करने के लिए किस तरह किया जा रहा है।

इस पर आरएसएस चुप्पी साधे हुए है।

क्या पीएम केयर फंड में इकट्ठा होने वाली धनराशि का उपयोग राजनीतिक तरीके से किया जाएगा?

कुछ ही महीनों बाद बिहार और पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। वहां भाजपा का परचम लहराने के लिए काफी धन की आवश्यकता होगी। केंद्र सरकार का खजाना तेजी से खाली हो रहा है।

क्या देश लोकप्रिय तानाशाही की ओर अग्रसर हो चला है? क्या सारे स्वयंसेवक पिछलग्गू बन जाएंगे? जो बुद्धिमान – विद्वान लोग आरएसएस को अपने कंधे पर उठाए हैं, उन्हें सोचना चाहिए कि कहीं संघ अपने रास्ते से भटक तो नहीं गया है? नोटबंदी, घरबंदी, पूर्णबंदी जैसे कार्य क्या संघ के एजेंडे में हैं? आने वाले समय में क्या संघ प्रमुख प्रधानमंत्री की परछाई बन कर रह जाएंगे?

श्रषिकेश राजोरिया

17 अप्रैल 2020

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लेख में प्रकट विचार लेखक के हैं। इससे इंडिया क्राईम के संपादक या प्रबंधन का सहमत होना आवश्यक नहीं है – संपादक

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