indiacrime.com
‘इन्दोरी’ की अभिलाषा!
चाह नहीं, मैं पनीर के, पकौड़ों से तौला जाऊं चाह नहीं मैं सय्याजी के, बुफे के लालच से ललचाऊँ चाह नहीं सराफे की गलियों में, हे हरि पाया जाऊं, चाह नहीं ५६ दुकान पे, घूम भाग्य पर इठलाऊं, मुझे दे देना ओ…