जमीन की आवाज सुनें, वही आपको स्वस्थ, प्रसन्न, शांत रखेगी – दीपक अग्रवाल
कोरोना महामारी के दौर में पारिवारिक और सामाजिक महामारी की चपेट में भी देश आया हुआ है।
कोरोना महामारी के दौर में पारिवारिक और सामाजिक महामारी की चपेट में भी देश आया हुआ है। ऐसे में “लैंड जेनेटिक्स” के प्रणेता दीपक अग्रवाल से हमने काफी सारे सवालों के उत्तर लिए ताकि आप, परिवार, और समाज स्वस्थ रह सकें।
देश का हर नागरिक 21 दिनों के लिए अपने घर में बंद रह चुका है। राष्ट्रपति से लेकर आम नागरिक तक घरों के बाहर नहीं निकल सकते क्योंकि कोरोना की महामारी से बचाव का सबसे अच्छा यही तरीका है।
लॉकडाऊन की मियाद सरकार ने 15 दिनों के लिए बढ़ाने का निर्णय लिया है। यह संभावना भी दिख रही है कि लॉकडाऊन काल पूरा होने के बाद भी एक या दो सप्ताह के लिए और बढ़ाने पर सरकार विचार करे। हालात के मुताबिक यह निर्णय केंद्र एवं राज्य सरकार मिल कर लेंगे।
अब पूरा देश 21 दिन के लॉकडाऊन समाप्त होने का इंतजार कर रहा था, लॉकडाऊन बढ़ने के कारण सबको धैर्य रखते हुए, शांतचित्त रहते हुए, पारिवारिक समन्वय और स्वास्थ अच्छे से संभालते हुए आजीवन पूंजी बनाना होगा।
लॉकडाऊन के कारण एक तरफ जहां प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक और सोशल मीडिया में बहुत सारी सलाह मिल रही हैं, जीवन शैली कैसी हो, खाना-पीना कैसा हो, किस तरह सुरक्षा व्यवस्था करें, सब कुछ बताया जा रहा है। इसी बीच मनोरंजन के भी बहुत सारे ऐप्स आ चुके हैं। इसके बावजूद लोगों में बेचैनी बढ़ती जा रही है।
हमें दिल, दिमाग, स्वास्थ्य, आपसी समन्वय संभालने होंगे। इनके अलावा भी हमें कुछ अतिरिक्त प्रयास करने होंगे। हम योगा कर सकते हैं। घर के अंदर ही हल्की-फुल्की कसरत कर सकते हैं। खानपान और लिखने-पढ़ने के अलावा अच्छा संगीत और ऑडियो बुक्स भी सुन सकते हैं।
इसी बीच हम लैंड जेनेटिक्स विषय से भी रूबरू करवाते हैं, जो पूरे विश्व में किसी न किसी नाम से थोड़े-बहुत अंतर से उपस्थित है। यह समझ लें कि यह विषय जमीन की बोली या आवाज से संबंधित है। यह जमीन के व्यवहार को बताता है, जिसे आपको सिर्फ डिकोड करना आना चाहिए; और यह काम हिंदुस्तानियों के लिए बहुत आसान है।
लैंड जेनेटिक्स जमीन का व्यवहार समझने का विज्ञान है। इसे कुछ इस तरह भी आप समझ सकते हैं कि यह जमीन की भाषा या व्यवहार को समझने और डिकोड करने का विज्ञान है। जमीन की अपनी एक एनाटॉमी है। ठीक वैसे ही, जैसे इंसान के शरीर की संरचना होती है। ठीक उसी तरह जब हमारा शरीर बीमार होता है, तो वह शरीर की फिजियोलॉजी होती है। वह हमारी जीवनशैली के कारण प्रभावित होती है। बिल्कुल वैसे ही जमीन की फिजियोलॉजी भी हमारी लिविंग स्टाइल के कारण प्रभावित होती है। इसका सीधा प्रभाव हमारे मन-मस्तिष्क, स्वास्थ्य एवं अपसी तालमेल पर पड़ता है। इसके एक हिस्से को दुनिया भर में न्यूरोआर्किटेक्चर के रूप में पहचाना जाता है।
सबसे मुख्य बात यही है कि इसके लिए रोज या दैनिक जीवन में कोई विशेष कोशिश नहीं करनी है। इसे तो सिर्फ एक बार ही साधना होता है। धीरे-धीरे इसका प्रभाव शरीर, मन, मस्तिष्क, दिल, भावना पर होता चला जाता है। लॉकडाऊन के दौरान चित्त शांत बना रहेगा, दिल-दिमाग, आपसी तालमेल और स्वास्थ्य बिना किसी खास कोशिश के अपने-आप ही अच्छे बने रहेंगे।
इसका मतलब हुआ कि लोगों के स्वास्थ्य और आपसी संबंधों के लिए लॉकडाऊन वरदान साबित होगा। आप जब समाज में बाहर निकलेंगे, तो नई स्फूर्ति के साथ, पहले से अधिक तालमेल और बेहतर स्वास्थ्य के साथ समाज के अंग बनेंगे।
सोशल डिस्टेंसिंग के कारण घर में परिवार के साथ बंद रहना मजबूरी नहीं, कर्तव्य है। दोस्तों और रिश्तेदारों के साथ हमें दूरी बनाए रखनी चाहिए। यह वक्त दोस्तों-रिश्तेदारों के साथ मौज-मस्ती करने के बदले सामाजिक और राष्ट्रीय कर्तव्य निभाने का है।
हालात यह है कि भारतीय परिवारों में संख्या अधिक और घरों में कमरों की संख्या कम होती है। ऐसे में सोशल डिस्टेंसिंग एक समस्या ही है, जिसका निदान बहुत सोच-विचार कर किया जा सकता है।
लंबे समय तक परिवार का एक साथ, एक ही घर में बंद रहना, वैचारिक दृष्टि से कुछ समस्याएं तो लाएगा लेकिन उनसे निपटा जा सकता है।
परिवार के लिए बाहरी मनोरंजन के साधन बंद हैं। दैनिक गतिविधियां भी बंद हैं। बाहर टहलना या कसरत करना या बाजार जाना भी बंद है। ऐसे में परिवार के सदस्यों को स्वस्थ, प्रसन्न और एकजुट रहने की ज्यादा दरकार है। उन्हें मन से शांत रहना होगा। चित्त से प्रसन्न रहना होगा। विचारों से खुला रहना होगा। तभी इस तकलीफ के दौर में परिवार एकजुट बना रह पाएगा।
बुजुर्गों और अस्वस्थ सदस्यों के साथ परिवार के स्वस्थ एवं युवा सदस्य बहुत अच्छा बर्ताव करें। उनकी हर जरूरत का ख्याल करें। उन्हें बहुत प्रेमपूर्वक समझाएं कि हालात बहुत खराब हो चुके हैं। जो व्यवस्थाएं हैं, उनमें ही सबको निभाना होगा।
भारत और सारी दुनिया में लोग समझें कि बिना किसी तनाव के आपसी समन्वय और सहयोग के साथ धर्म के अंदर रहते हुए ही वक्त बिताया जा सकता है।
कई निजी कंपनियां और सरकारी एजंसियां आम नागरिकों की सुविधा के लिए तमाम प्रयास कर रहे हैं। आप उनकी सेवाओं की भरपूर तारीफ करें ताकि कंपनियों और एजंसियों में काम करने वालों का मनोबल ऊंचा रहे। देश के 135 करोड़ लोग घर बंदी के बाद सामाजिक सहयोग से बेहतर राष्ट्र बना सकेंगे।
हम बताते हैं कि आपको सुखी एवं स्वस्थ रहने के लिए घर में रहते हुए ही क्या-क्या करना है।
क्या करें – क्या न करें
- घर के सभी सदस्य दक्षिण की तरफ सिर करके सोएं, जिससे मन शांत रहे। शरीर भी सुकून हासिल करेगा। शरीर का सबसे भारी हिस्सा सिर है, जो शरीर में उत्तरी ध्रुव का कार्य करता है। इसे जब दक्षिण दिशा की तरफ करके सोते हैं तो इसका मतलब यह हुआ कि हम दक्षिणी ध्रुव की तरफ सिर करके सो रहे हैं। फिजिक्स का मूलभूत सिद्धांत है कि चुंबक के विपरीत ध्रुव एक-दूसरे को आकर्षित करते हैं। इसके कारण शरीर में खून के अंदर मौजूद आरबीसी (आयरन) भी हृदय और मस्तिष्क तक आसानी से बह कर पहुंचते हैं। उससे मन-मस्तिष्क न केवल शांत हो जाते हैं बल्कि नींद भी बहुत अच्छी आती है। अच्छी नींद तो स्वास्थ्य के लिए बहुत आवश्यक होती ही है।
- एक ही स्थान पर अधिक समय तक बैठना पड़े तो चेहरा पूर्व या उत्तर दिशा की तरफ रखें। इससे आपको अधिक समय तक बैठने में सुविधा होगी। साथ ही काम करते हुए आप अधिक ऊर्जावान बने रहेंगे। शरीर में खून का प्रवाह ‘क्लॉक वाइज’ होता है। जमीन के अंदर भी चुंबकीय बलों का प्रभाव भी क्लॉक वाइज ही होता है। यह उत्तर-पूर्व से दक्षिण-पश्चिम की तरफ क्लॉक वाइज चलता है। इसी कारण जब आप पूर्व या उत्तर की तरफ मुंह करके बैठेंगे, आपका चित्त शांत रहेगा। अपने-आप लंबे समय में ध्यानरत तो हो जाएंगे। आपको कोई बेचैनी नहीं होगी। आपकी निर्णय लेने की क्षमता भी बढ़ जाएगी।
- परिवार में तालमेल बनाने के लिए पश्चिम से पूरब या दक्षिण से उत्तर की तरफ बड़े सदस्य से छोटे सदस्य की तरफ क्रमानुसार सोएं, तो बेहतर होगा। इससे परिवार में एकजुटता बनी रहेगी, साथ ही एक-दूसरे के प्रति समर्पण एवं विश्वास भाव बना रहेगा। हम सभी भारतीय संस्कृति का पालन करने वाले हैं। यहां बड़ों का सम्मान एवं अनुसरण किया जाता है। बड़े छोटों को संरक्षण देते हैं। यदि इसमें क्रम बदल जाता है, तो जीवन में बहुत सी विकृतियां आती हैं। इसी कारण जमीन की वेवलेंथ के अनुसार क्रम से बड़ों की बड़ी वेवलेंथ और छोटों की छोटी वेवलेंथ के मुताबिक ही सोना चाहिए। इससे मन प्रफुल्लित एवं जीवन सुगम होता है।
- परिवार के बीमार सदस्य को घर के पहले क्वाड्रेंट यानी उत्तर-पूर्वी दिशा में रखें। उन्हें दक्षिण की तरफ सिर करके सुलाएं। इससे उनका मन एवं चित्त शांत रहेगा। साथ ही वे बीमारी से बेहतर तरीके से लड़ सकेंगे। परिवार का कोई सदस्य बीमार हो, तो वह सभी चिंताओं से मुक्त रहे, उसके लिए यही सबसे अच्छा होता है। घर के उत्तर-पूर्व की वेवलेंथ सबसे छोटी होती है। इसके कारण वह क्षेत्र चिंतामुक्त और बेफिक्री का स्थान होता है। यह स्वास्थ्य सुधार में महत्वपूर्ण योगदान देता है। दक्षिण की तरफ सिर करके सोने से नींद अच्छी आती है, जिससे जल्द स्वास्थ्य लाभ होता है।
- खाना बनाते समय चेहरा उत्तर या पूर्व दिशा की तरफ रखें तो बेहतर होगा। खाना बनाते समय मुंह पूर्व या उत्तर की तरफ होने से मन शांत रहता है क्योंकि खून का प्रवाह और जमीन के अंदर चुंबकीय बलों का प्रवाह समानांतर होता है। इससे एकाग्रचित्त होकर स्वादिष्ट खाना बनाने में मदद मिलती है। इससे मन भी शांत रहता है, जिससे पारिवारिक समन्वय बहुत अच्छा होता है।
- घर में पोंछा लगाते समय पानी में दो चुटकी नमक डालें। इससे न केवल कीटाणु नष्ट होंगे बल्कि घर में बुरे प्रभाव भी खत्म होंगे।
- घर में कम से कम दो या तीन बार कपूर, धूप या लोबान जरूर जलाएं। इससे वातावरण शुद्ध होगा, आपका मन भी प्रसन्न होगा।
- पानी चाय जैसा गर्म पानी फूंक-फूंक कर सावधानी से पिएं। भाप लें।
- तांबे के बर्तन में रखा गर्म पानी राम में पीना स्वास्थ्य के लिए अधिक फायदेमंद होता है।
दीपक अग्रवाल
लैंड जेनेटिक्स के प्रणेता
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