Poem: ये जो आसमान पे नफ़रत के बादल छाये हैं – शाहबाज
ये सब नकली हैं,
किसी खुदग़र्ज़ की खुदग़र्ज़ी ने
इन्हें बनाये हैं,
इसे अमृत वर्षा समझ कर आप जो इसमें भीगे हैं,
ज़रा सोचें तो सही,
इसकी ज़हरीली बूंदों ने
क्या क्या असर दिखाए हैं।
आप नफरत की आग में सुलगने लगे हैं।
अपने हमसाए को अपना दुश्मन समझने लगे हैं।
कल तक जिसे आप अपना दोस्त कहते थे।
वही अब आप को क़ातिल नज़र आने लगे हैं।
उसे देख आप कुढ़ने,
फुनकने लगे हैं।
तो जनाब ज़रा चेक तो कराएं
आपका बीपी कितना हाई हुआ?
आपके शुगर का लेवल कहं तक पहुंचा?
टेंशन से दिमाग़ कितना भन्नाया हुआ है?
देखिए तो सही जनाब,
किसका फ़ायदा,
किसका नुक़सान हुआ है?
वो मिंया तो मस्त कबूतर उड़ा रहा है,
और
आपके होश डॉक्टर उड़ा रहे हैं।
– डॉ. एम. शाहबाज
व्यंग्य लेखक एवं कार्टूनिस्ट