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बुकियों ने खोजा नया सट्टा

विवेक अग्रवाल

मुंबई, 01 मई 2020।

कितना भी लॉकडाउन हो, सरकार ने कितने ही प्रतिबंध लगा रखे हों, सट्टेबाजों को सट्टा खेलने से रोकने में भारत सरकार पूरी तरह विफल साबित हो रही है। कोरोनावायरस का डर भले ही सट्टेबाजों पर भी हावी हो, वे भले ही घर में बंद पड़े हों, लेकिन उनके दिमाग की ऊंची उड़ान अभी भी बंद नहीं हुई है। देश में भले ही सट्टा बंद हो लेकिन जुआ खेलने का कोई न कोई नया तरीका हमारे सटोरिए खोज ही निकालते हैं। सट्टेबाजों ने अब हांगकांग की घुड़दौड़ पर सट्टेबाजी करनी शुरू कर दी है

चोर चोरी से जाए…

चोर चोरी से जाए, हेराफेरी से ना जाए… हिंदुस्तान के जुआरियों पर यह कहावत बिल्कुल खरी उतरती है। सट्टेबाजों को जब अपनी लत पूरी करने के लिए कोई और साधन नहीं मिला तो उन्होंने हजारों किलोमीटर दूर चल रही हांगकांग रेस पर सट्टेबाजी शुरू कर दी।

हांगकांग में बुधवार और रविवार को घुड़दौड़ होती है। सीजन में हर बुधवार को दिन में भारतीय समय सुबह 10 बजे से (हांगकांग टाईम 12.30 बजे) जबकि हर रविवार को रेस भारतीय समय शाम 4:15 बजे (हांगकांग टाईम 6.45 शाम) होती हैं।

हांगकांग रेस जुलाई महीने के अंत तक चलेगी। इसका मतलब यह है कि भारतीय सटोरियों के पास जुलाई महीने तक जुआ खेलने का एक साधन तो बन ही गया है।

इंटरनेट ने किया आसान

इस मामले की जानकारी रखने वाले एक सूत्र का कहना है कि हांगकांग में घोड़ों पर एक दिन पहले ही भाव खुलते हैं। भाव में उतार-चढ़ाव भी बहुत तेजी से होते हैं। उसके मुताबिक हांगकांग रेसकोर्स के दो सबसे मशहूर जॉकी नोरिया और पोर्टून हैं, जिन पर सबसे अधिक विश्वास लोग करते हैं।

सटोरिए के मुताबिक हांगकांग रेसकोर्स के भाव इंटरनेट पर लाइव चलते रहते हैं क्योंकि पूरी दुनिया के पंटर इस पर सट्टा लगाते हैं। उसके मुताबिक जिस तरह भारत में रेसकोर्स के अंदर बुकी होते हैं, हांगकांग में वैसे बुकी रेसकोर्स के अंदर नहीं बैठते हैं। सभी पंटर ऑनलाइन ही सट्टा लगाते हैं।

हर दिन हजारों करोड़ का सट्टा

हांगकांग में हर दिन लगभग 9 से 11 रेस होती हैं। यहां हर दिन 10 से 15 करोड़ हांगकांग डॉलर का सट्टा अधिकृत रूप से लगता है।

एक मोटा अनुमान है कि इस रकम का लगभग 100 गुना अवैध रूप से दुनिया भर सट्टा बुकी और पंटर लगाते हैं।

भारत से भी तकरीबन 200 करोड़ रुपए रोजाना का सट्टा हांगकांग रेस पर अवैध रूप से लगने लगा है।

चित भी मेरी – पट भी मेरी

एक बुकी ने बताया कि मुंबई के बुकी हांगकांग रेस का घोड़ा सीधा नहीं खाने देते हैं। उसने बताया कि यदि हांगकांग रेस में किसी घोड़े पर 70 पैसे का भाव चल रहा है, तो भारतीय बुकी 1.20 रुपए का भाव भारतीय पंटरों के लिए चलाते हैं। इस तरह उन्हें सीधे-सीधे 50 पैसे का फायदा होता है। पंटर जीते या हारे, बुकि की पांचों उंगलियां कढ़ाई में और सिर ड्रम में होता है।

वह बताता है कि किसी घोड़े पर यदि एक लाख रुपए का दांव लगाएं, तो जीत पर पूरे एक लाख बुकी देता है लेकिन हारने पर 10 से 15 फ़ीसदी कमीशन पंटर को मिलता है। इसका मतलब है कि एक लाख का दांव हारने पर भी बुकी को पंटर 90 या 85 हजार रुपए ही चुकाता है।

भारत में रेस-बंदी

एक सूत्र का कहना है कि भारत के सभी रेसकोर्स लॉकडाउन के कारण पूरी तरह बंद हैं। उसके कारण घुड़दौड़ भी नहीं हो रही है। इतना ही नहीं घोड़ों की देखभाल करने में भी मालिकों को बहुत समस्या आ रही है।

एक बुकी के मुताबिक 15 अप्रैल से ऊटी में रेस होनी थी, जो कोरोनावायरस के लॉकडाउन की वजह से नहीं हो पा रही है। ऊटी रेस सुबह 11:00 बजे शुरू होकर दोपहर अधिकतम 3:00 बजे तक खत्म हो जाती है।

इसी तरह बंगलुरु की समर मीटिंग मई के दूसरे सप्ताह या मई माह के पहले शनिवार से शुरू हो जाती है। इसी तरह पुणे की रेस जुलाई माह के दूसरे सप्ताह से हर साल होती है। बुकियों का मानना है कि इस साल पुणे की रेस भी होती दिखाई नहीं दे रही है।

इन हालात के मद्देनजर सटोरियों ने सट्टेबाजी का यह नया जरिया खोजा है। एक सट्टेबाज ने बताया कि हांगकांग में भी रेस के दौरान दर्शकों का जाना दर्शक दीर्घा में बंद हो चुका है। सबको इंटरनेट या टीवी पर लाईव रेस देख कर ही ऑनलाइन बेटिंग करनी होती है।

अवैध बुकियों का संसार

एक बुकि बताता है कि हांगकांग में भी रेसकोर्स के बाहर अवैध बुकियों का बोलबाला है। वहां भी बड़े पैमाने पर अवैध रूप से रेस पर सट्टेबाजी होती है। ये बुकी अपने ही तौरतरीके अख्तियार करते हैं ताकि मोटी मलाई मार सकें।

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