Vivek Agrawal Books

Books: पुस्तक अंश – रेसर: माफिया सिरीज: हमला

रुपाणी गुस्से में बौखलाया मंत्रालय की इमारत से बाहर आया। अपनी कार में आ बैठा। अगली सीट पर गनमैन बैठ गया।

ड्राईवर ने दो बार कार का हॉर्न हौले-हौले बजाया। यह खुली जीप में सवार पांच सुरक्षा रक्षकों वाली एस्कॉर्ट जीप को आगे बढ़ने का संकेत है। एस्कॉर्ट जीप आगे बढ़ी, तो ड्राईवर ने रूपाणी की कार भी आगे बढ़ा दी।

मंत्रालय के मुख्य दरवाजे से एस्कॉर्ट जीप बाहर निकली, पीछे-पीछे रुपाणी की कार भी आई।

इस दौरान एक सुरक्षा चूक हुई।

एस्कॉर्ट जीप तो सिग्नल पार कर गई लेकिन रूपाणी की कार लाल सिग्नल होने के कारण पीछे ही रुक गई।

एस्कॉर्ट जीप में पीछे बैठे एक गनमैन देखा, तो चिल्ला कर जीप ड्राईवर को सूचित किया। उसने फौरन सड़क पर एक तरफ जीप रोक दी।

तभी रूपाणी की कार के पीछे से दो बाइक सवार उस तरफ आए, जिस तरफ रुपाणी बैठा है।

बाईक पर पीछे बैठे बंदे ने जैकेट के अंदर से भारी-भरकम हथौड़ा निकाला। उसने हाथ उठाया और बुलेटप्रूफ कांच पर जोरदार वार किया।

धम्म की जोरदार आवाज आई। कांच पर दरारें पड़ गईं।

हमलावर ने हथौड़े से लगातार दो-तीन जोरदार वार किए तो बुलेटप्रूफ कांच खील-खील होकर सड़क पर बिखर गया।

यूं तो पहले ही वार पर कार के अंदर बैठा गनमैन चौकन्ना हो गया था। उसने अपनी बंदूक का रुख हमलावरों की तरफ मोड़ना चाहा।

अब तक पीछे वाला हमलावर बाईक से नीचे उतर गया।

बंदूक का मुंह मोड़ने में असफल गनमैन ने कार का दरवाजा खोल बाहर निकलना चाहा लेकिन तब तक हमलावर ने बाईक दरवाजे के बाहर लगा दी। दरवाजा बाहर खुलने की स्थिति न रही।

गनमैन के लिए यह तो मुसीबत हो गई। उसने तुरंत एक घातक निर्णय लिया। वह अगली सीट की पुश्त से पिछली सीट की तरफ जाने की कोशिश करने लगा। उसने सोचा कि अपने शरीर की ढाल बना कर रूपाणी की जान बचा लेगा। वह बुलेटप्रूफ जैकेट भी पहने है।

जब तक अंदरूनी गनमैन कुछ करे, दूर जा चुकी एस्कॉर्ट जीप के गनमैन करीब आते, तब तक हमलावरों ने 48 कैलीबर की दो स्वचालित पिस्तौलें निकाल लीं।

दोनों हमवालरों ने पिछली खिड़की के अंदर हाथ डाल रुपाणी पर दनादन गोलियां बरसानी शुरू कर दीं। बमुश्किल 30 सेकंड में दोनों ने 48 कैलीबर की स्वचालित पिस्तौलौं की 20 राऊंड्स वाली मैगजींस खाली कर दीं।

दोनों हमलावरों ने प्रशिक्षित सिपाहियों की तरह पिस्तौलों की इस्तेमालशुदा मैगजींस निकाल कर जेब के हवाले कीं, अपनी पिस्तौलें दोबारा लोड कर लीं।

अब हमलावरों ने गोलीबारी नहीं की बल्कि बाइक पर सवार होकर एक दिशा में भाग निकले।

रूपाणी को हमले में सत्रह गोलियां लगीं। उसकी वहीं मौत हो गई। उसके ड्राइवर और बॉडीगार्ड भी बेतरह घायल हुए।

….

एस्कॉर्ट जीप की टीम का एक गनमैन भागता हुआ रूपाणी की कार तक आया। उसने अगला दरवाजा खोला। खून से लथपथ ड्राईवर को बाहर निकाला। खुद कार में बैठ गया। घायल रूपाणी और गनमैन को लिए वह तेजी से कार अस्पताल की दिशा में दौड़ाने लगा।

एस्कॉर्ट जीप के बाकी गनमैन ने रूपाणी की कार के ड्राईवर को अपने साथ लिया। वे भी सायरन बजाते और लाल-नीली बत्तियां चमकाते अस्पताल की तरफ तेजी से चल दिए। रास्ते में जाते हुए कार ड्राईवर का खून बहने से रोकने के लिए गनमैन ने कस कर पट्टियां बांध दीं।

रास्ते में जाते हुए एस्कॉर्ट जीप में बठे इंचार्ज ने पुलिस हेडक्वार्टर को वायरलैस पर हमले की सूचना दे दी। हेडक्वार्टर में हंगामा मच गया। तुरंत तमाम अधिकारियों ने अपनी-अपनी टीम लेकर मौकाए वारदात की तरफ दौड़ लगाई। कुछ अस्पताल भी पहुंचने लगे। 

दोनों कारें जब अस्पताल पहुंची, तो डॉक्टरों की टीम रूपाणी को सबसे पहले ऑपरेशन थिएटर में ले गई। दो अलग टीम बॉडीगार्ड और ड्राईवर का इलाज करने लगीं।

रूपाणी को तो पांच मिनट में ही डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया।

बॉडीगार्ड की जान बचाने के लिए डॉक्टरों को खासी मशक्कत करनी पड़ी। गनीमत रही कि गनमैन ने बुलेटप्रूफ जैकेट पहनी थी, जिसमें पांच गोलियां ठीक दिल और फेफड़ों वाली जगह पर अटकी मिलीं। उसके शरीर से सात गोलियां निकलीं। बहुत रक्त बहने के कारण बॉडीगार्ड कई दिनों तक बेहोशी में रहा।

कार ड्राईवर को दो गोलियां लगी थीं, जिन्हें आसानी से डॉक्टरों ने निकाल दिया। वह पांच दिनों में पूरी तरह ठीक हो गया।

मंत्रालय के ठीक सामने हुई इस हत्या ने पूरे देश को दहला दिया। पूरे देश में मुंबई पुलिस की थुक्का-फजीहत होने लगी।

कमिनश्नर टंडन ने सुरक्षा में लापरवाही बरतने पर पूरी एस्कॉर्ट टीम को तत्काल प्रभाव से सस्पेंड कर दिया। उन्होंने मामले की जांच तुरंत प्रभाव से क्राईम ब्रांच को सौंपने के आदेश जारी कर दिए।

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