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अंतर्राष्ट्रीय वरिष्ठ नागरिक दिवस 21 अगस्त का महत्त्व व समाज का कर्तव्य

अंतर्राष्ट्रीय वरिष्ठ नागरिक दिवस को मनाने का मुख्य उद्देश्य वृद्ध लोगों की स्थिति के बारे में जागरूकता फैलाना है और उन्हें शिष्टाचार की प्रक्रिया के माध्यम से समर्थन देना है। इस दिन को वृद्ध लोगों के कल्याण के लिए भी मनाया जाता है ताकि उनकी क्षमता और ज्ञान से पदोन्नत होने के लिए उनकी उपलब्धियों और योग्यता की सराहना कर सकें।

इस दिन का जश्न मनाने का एक कारण यह भी है कि बुजुर्गों ने अपने बच्चों के लिए जो कुछ भी किया है उसके लिए उनको धन्यवाद देना और सम्मान करना है। वे अपना पूरा जीवन रिश्तों की देखभाल में लगाते हैं। अपने परिवार के लिए पूरे जीवन इस तरह की निस्वार्थ सेवा करने के लिए भी उन्हें कुछ महत्व देना चाहिए। यही कारण है कि अंतर्राष्ट्रीय वरिष्ठ नागरिक दिवस मनाया जाता है।

बुजुर्गों के लिए साल में एक विशेष दिन समर्पित करना अपने परिवार को अपने बड़ों के प्रति प्यार और लगाव को समझने का अवसर प्रदान करता है। अंतर्राष्ट्रीय वरिष्ठ नागरिक दिवस एक महत्वपूर्ण दिवस है जहाँ सरकार को वृद्धों और सभी बड़ी उम्र के लोगों के लिए भूख और गरीबी को खत्म करने में मदद करने के लिए अपने निर्धारित लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए काम करने के बारे में याद दिलाता है।

बुजुर्ग लोगों का सम्मान करने के लिए ही अंतर्राष्ट्रीय वरिष्ठ नागरिक दिवस मनाया जाता है। भारत में कई लोगों के समूह द्वारा किए गए कई गतिविधियों के रूप में भारत में यह समारोह विभिन्न राज्यों में मनाया जाता है।

केन्द्रीय और राज्य सरकारें ऐसे लोगों के कल्याण के लिए उपायों की स्थापना कर रही हैं और वरिष्ठ नागरिकों के अधिकारों की भी वकालत कर रही है। योजनाबद्ध अधिकारियों ने यह सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक कदम उठाए हैं कि वृद्धों की जरूरतों को पूरा किया जा सके।

भारत में 2011 की आबादी की जनगणना के अनुसार 60 वर्ष और उससे अधिक उम्र के 104 करोड़ बुज़ुर्ग नागरिक थे जिनमें 51 मिलियन पुरुष और 53 मिलियन महिलाएं थीं। एक रिपोर्ट के मुताबिक यह संख्या साल दर साल बढ़ने की उम्मीद है।

देश में बुजुर्गों की बड़ी आबादी को ध्यान में रखते हुए उनकी देखभाल और स्नेह के साथ सेवा करने का हमारा परम कर्तव्य है। अंतर्राष्ट्रीय वरिष्ठ नागरिक दिवस हमारे वृद्धों को सम्मान देने के लिए सबसे अच्छा मंच है और यहाँ बताने का भी कि वे हमारे साथ-साथ पूरे समाज के लिए कितने महत्वपूर्ण हैं।

जैसे-जैसे लोग बूढ़े होते हैं वे बुनियादी रोज़गार कार्यों को करने की अपनी क्षमता खो देते हैं। वे पूरे जनसमुदाय में मदद के लिए दूसरों पर भरोसा करना शुरू करते हैं। इस प्रकार बुजुर्गों की सेवा करने के लिए बच्चों को पढ़ाना महत्वपूर्ण है।

अंतर्राष्ट्रीय वरिष्ठ नागरिक दिवस हमारे समाज के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण और उन कठिन कामों का सम्मान करने का एक अवसर है जो हर बुज़ुर्ग हर दिन करता है यानी “अगली पीढ़ी का पालन-पोषण”।

21 अगस्त वरिष्ठ नागरिक दिवस के रूप में बुजुर्गों द्वारा हमारे समाज को दिए गए योगदान को याद करने और उन्हें सम्मान देने में हमारी सहायता करने के लिए बनाया गया है। ये छोटी-छोटी चीजें हैं जो अंततः सबसे अधिक मूल्यवान हैं। एजिंग पर किए हाल ही के अध्ययन के अनुसार 67% से अधिक वयस्कों में से 29% अकेले रहते हैं। बुजुर्गों की स्वतंत्रता को बनाए रखने से सशक्तिकरण और आत्मसम्मान को बढ़ावा मिलेगा।

जब वृद्ध सामाजिक और पारिवारिक संपर्क के बिना अकेले रहते हैं तो यह उनके जीवन के लिए जोखिम है। आमतौर पर संज्ञानात्मक या शारीरिक हानि के संकेतों का पता लगाने में अधिक समय लगता है। यह उनकी सुरक्षा और स्वास्थ्य के जोखिमों को बढ़ाता है और इससे अवसाद और अन्य मानसिक बीमारियों की संभावना बढ़ जाती है।

हमें अपने बड़ों के साथ रहना चाहिए और उनकी सभी जरूरतों को ध्यान रखना चाहिए। बेशक न सिर्फ वरिष्ठ नागरिक दिवस पर बल्कि सामाजिक संवाद और मेल-जोल हर वर्ष होना चाहिए। हमारे बुजुर्गों को विशेष महसूस कराने के लिए प्रत्येक और हर दिन महत्वपूर्ण है।

एक पहलू यह भी है कि कुछ बुजुर्ग दंपती की दोनों संतान अर्थात् बेटा व बेटी विदेश में थे। वहां उच्च शिक्षा प्राप्त करने गए थे कि वहीं के ही होकर रह गए। अब तो उनके विवाह हो गए हैं और उनकी संताने अमेरिकी नागरिक हैं। एक दो साल में महीने भर या कुछ दिनों के लिए मिलने आ जाते हैं। जब तक शारीरिक ताकत मौजूद थी यह बुजुर्ग भी अपनी संतानों के पास दो-तीन महीने रहने के लिए जाते रहे पर अब यह कर पाना असंभव हो गया था। संताने उन्हें बार-बार कहतीं कि अपना सब कुछ ठिकाने लगाकर अब वह उनके पास आ जाएं पर, उन्हें दो-तीन महीने वहां रहने पर होने वाली बोरियत का अनुभव था इसलिए वहां वह स्थाई रूप से रहने जाने में झिझकते थे।

बुजुर्ग दंपती दोनों ही अपने समय में अच्छे पदों पर प्रतिष्ठित थे, इसलिए आर्थिक स्थिति तो बहुत संतोषजनक थी। सही समय पर एक अच्छा सुविधाजनक घर बना लिया था। आसपास ही पूर्व के परिचित रहते थे। दोनों के निकट के संबंधी भी उसी शहर में थे। बहुत अपनापन लगता।

कई बार यह भी सोचते कि यदि यहीं रहना है तो क्यों न घर के व बाहर के काम निपटाने के लिए कोई सहायक रख लिया जाए। यह कोई सहायिका भी हो सकती है। पर सवाल यह है कि आज कितने सुरक्षित हैं अपने ही घर में बुजुर्ग? देश के बड़े शहरों में ऐसी एजेंसियां काफी संख्या में हैं जो डोमेस्टिक हेल्प (घरेलू सहायक) अथवा बुजुर्गों की देखभाल के लिए केयरटेकर सप्लाई करती हैं।

एक बुजुर्ग दंपती ने भी ऐसी ही किसी एजेंसी को अपनी आवश्यकता बताकर एक केयरटेकर ले लिया। घर के बाहर के कामों में उन्हें बहुत सुविधा हो गई। धीरे-धीरे उन बुजुर्गों का केयरटेकर पर बहुत विश्वास हो गया। अंत में वहीं हुआ जो प्राय: आजकल इन बुजुर्गों के साथ हो रहा है। उस केयरटेकर ने अपनी प्रेमिका के साथ मिल कर बुजुर्गों की हत्या कर दी। आसपड़ोस का कोई व्यक्ति उसी दिन शाम उनसे मिलने पहुंचा तब पता चला कि उसी रात को उनकी हत्या हो चुकी है। तीन-चार दिन बाद केयरटेकर पकड़ा गया। उसकी प्रेमिका भी गिरफ्त में आई पर बुजुर्ग तो इस तरह नृशंसता से मारे गए।

क्या यह पहली घटना है या एकमात्र घटना है? शायद नहीं! खबरों में बहुत बार आता है एक बुजुर्ग पुरुष या बुजुर्ग महिला का उनके सेवक ने मर्डर कर दिया। कई बार तो यह सेवक पांच या इससे अधिक अवधि से उनके साथ काम कर रहे होते हैं, पर वह कब बदनीयत हो जाएं इसकी कोई गारंटी नहीं होती।

देश के कई बड़े शहरों में पुलिस ने कुछ दिनों पहले यह अभियान चलाया था कि किसी भी कॉलोनी के नजदीक के थाने वाले पुलिसकर्मी अकेले रह रहें बुजुर्गों का हाल-चाल पूछने के लिए समय-समय पर उनके यहां जाते रहेंगे। इससे उनके सेवक और केयरटेकर को यह डर बना रहता है कि पुलिस की नजरों में तो हैं ही।

पुलिस द्वारा चलाया यह अच्छा अभियान था। जिस तरह से बच्चे, महिलाएं और इनकी सुरक्षा हमारी और शासन की सामाजिक जिम्मेदारी है उसी तरह बुजुर्ग भी सबकी सामूहिक जिम्मेदारी है। एक समय इतने सक्रिय रहने वाले और उच्च व प्रतिष्ठित पदों पर रह चुके आज उम्र के तकाजे के कारण अशक्त और मजबूर हो जाते हैं। उनकी अनदेखी नहीं की जा सकती है।

यह सही है कि वह अपनी सहायता के लिए कोई सहायक रखते हैं पर, जरुरी यह है कि सहायक बहुत वेरीफिकेशन के बाद ही रखा जाना चाहिए। बुजुर्ग सबसे पहले उसकी पूरी जानकारी थाने में दें। डोमेस्टिक हेल्प देने वाली एजेंसिया एक अति विश्वसनीय व्यक्ति को ही बुजुर्गों के यहां भेजें।

आजकल सभी कॉलोनियों के रहवासी संघ होते हैं। इनके सदस्य अकेले रहने वाले बुजुर्गों के पास नियमित मिलने जाते रहें। इसमें उनकी खुशी के साथ-साथ एक मानवीय कर्तव्य भी पूरा हो जाता है। बुजुर्गों की सुरक्षा समाज का एक ऐसा शुभ कार्य है जो हमें हमारे भविष्य के प्रति भी सचेत करता है।

लेखक वरिष्ठ स्वतंत्र पत्रकार हैं। विगत चार दशकों से पत्रकारिता में सक्रिय हैं।

अ-001 वैंचर अपार्टमेंट, वसंत नगरी, वसई पूर्व -401208 (जिला – पालघर), फोन / वाट्सएप +919221232130

(उक्त लेख में प्रकट विचार लेखक के हैं। संपादक मंडल का इनसे सहमत होना आवश्यक नहीं है।)

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